Thursday 5 January 2017

ये लड़की नहीं, मांस का लोथड़ा है

कहने को बहुत कुछ है, कहते भी बहुत कुछ हैं। हम बहुत बड़े ज्ञानी हैं, हमें हर मुद्दों की थोड़ी बहुत समझ है। हर मुद्दों की तरह महिला सशक्तिकरण पर भी बहुत कुछ लिख और बोल सकता हूं । निर्भया पर भी बहुत कुछ बोल चुका हूं तो बंगलूरू में लड़कियों के साथ जो हुआ उस पर चुप रहकर क्‍या करूंगा। हां, वो अलग बात है कि किसी लड़की को देख लिया तो मेरी हवस की नजरें टूट पड़ेंगी। और मौका मिला तो बाइक से उतरकर जबरदस्‍ती राह चलती लड़की को किस कर लूंगा। आखिर लड़कियां ही तो मेरे अंदर पनपने वाली आग में घी डालती हैं। इन्‍हें किसने अधिकार दिया है शॉट कपड़े पहनने का? इन्‍हें किसने अधिकार दिया है अकेली घूमने का ? इन्‍हें किसने अधिकार दिया है मेरे प्‍यार को न समझ पाने का ? अगर वह इन्‍हें अधिकार मानती हैं तो मेरा भी अधिकार है उनको अपनी मर्दानगी दिखाने का क्‍योंकि हमारी नजर में वो लड़की नहीं, मांस का लोथड़ा है। हम कैसे समाज में जी रहे हैं, हम कहां जा रहे हैं, हम क्‍यों जा रहे हैं। इन बातों को लेकर अब मंथन भी करने की हिम्‍मत नहीं होती। सरकारें और पुलिस प्रशासन का क्‍या दोष दें। हम उनसे उम्‍मीद भी अगर कर रहे हैं तो खुद को बेवकूफों की कतार में खड़ा कर रहे हैं। बस इतना जानता हूं कि ह‍म ऐसे समाज का गवाह बन रहे हैं जहां दरिंदगी के हर दिन नए रिकॉर्ड बन रहे हैं और जो देख रहे हैं उनमें खामोशी की परत और गाढ़ी होती जा रही है । वर्ना किसी लड़की को कोई बाइक सवार जबरन किस कर जाता है और जिंदा रह जाता है। हैरान हूं, इस दरिंदगी के बावजूद मैं इस सभ्‍य सोसाइटी का गवाह हूं। हैरान हूं, उन लोगों पर जो किसी न किसी तरह इस दरिंदगी के साथ हैं। उनमें शायद मेरे साथी भी हैं। लड़कियों को ही अब समझने की जरूरत है कि उसके ना का मतलब ना है, यह हमारी समझ में नहीं आता है। ऐसे डायलॉग हम सिर्फ फिल्‍मों में ही पसंद कर सकते हैं। या फिर दो - चार महिला सशक्ति के उदाहरण गिना कर संतोषक कर लेते हैं। लेकिन सच यह है कि हमारी नजरों में अगर लड़की ना बोलती है तो इसका सीधा मतलब रेप, गैंगरेप, एसिड अटैक से हो जाता है। कम से कम इस मामले में मैं खुद पर गर्व कर सकता हूं। क्‍योंकि मुझे इस ना की समझ है और प्रेमिका को भी मांस का लोथड़ा नहीं समझता हूं।  ऐसा नहीं है कि मुझे किसी के लिए मिसाल बनना है और न ही खुद की तारीफ में यकीन करना है। लेकिन हां, इसके जरिए किसी के दिमाग की शुि‍द्ध होती है तो उसका स्‍वागत करता हूं।

बंगलूरू की घटना का लिंक , देख लीजिए हैवानियत के इस नए नमूने को


  



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