Friday 23 December 2016

तुम ‘तैमूर’ पैदा करो, हम मातम भी न मनाएं!



पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर लगातार लोग ज्ञान दे रहे हैं कि ‘सैफीना’ ने अपने नवजात का नाम ‘तैमूर’ रखा है तो यह उसका निजी मामला है। लेकिन क्‍या सच में यह उनका निजी मामला है। जी नहीं, यह उनका निजी मामला तब होता जब वह पब्‍लिक प्‍लेटफॉर्म पर नहीं होते। अगर यह उनका निजी मामला हो सकता है तो जो लोग तैमूर के नाम पर मातम मना रहे हैं, उनका भी अपना निजी विचार है। फिर आप उनके मातम पर सवाल उठाने वाले कौन होते हो? उनके तो मातम मनाने की भी वजह है। पहली बात तो तुमने 43 साल की उम्र में 32 साल की करीना से निकाह कर लिया। चलो निकाह तक तो माफी मिल जाएगी, लेकिन अब 46 साल की उम्र में बच्‍चे भी पैदा करने लगे। हद तो तब हो गई जब इसका जश्‍न भी मना रहे हो। इस उम्र में तो लोग भजन- र्की‍तन की तैयारियों में जुट जाते हैं।
  तुमने एक बार भी नहीं सोचा कि उन आशिकों पर क्‍या बीत रही होगी, जो करीना की फोटो फेवीकॉल से चिपका कर रखते हैं। अगर तुमने नहीं सोचा तो अब भी बुरा नहीं लगना चाहिए क्‍योंकि ये वही आशिक हैं जो तुम्‍हारी इस खुशी में मातम मना रहे हैं। लोगों को बुरा तब भी लगा था जब करीना कपूर ने अपना नाम बदलकर करीना कपूर खान रख लिया। यह अलग बात है कि करीना कि सासू मां शर्मिला टैगोर ने कभी मंसूर अली खां पटौदी के सरनेम को खुद से नहीं जोड़ा। हालांकि तब यह भरोसा था कि एक दिन अपना कुणाल खेमू भी सोहा अली खान को खेमू बनाएगा। चलो वहां तो तसल्‍ली मिल गई। अब इंतजार तैमूर के बदले की है। जिन्‍हें ‘तैमूर’ से आपत्‍त‍ि है वो इसलिए भी आहत हैं कि वह बेटा क्‍यों हुआ। क्‍योंकि यह माना जा रहा है कि बेटा आगे चलकर बाप सैफ की तरह ही एक्‍टर बनेगा। और अगर ऐसा सच में हुआ तो यह भारत पर बड़ा हमला माना जा सकता है। अगर वह बेटी होती तो शायद मां करीना जैसी एक्‍टर बन पाती । तब लोग उसे हाथों-हाथ भी लेते।

तो इसलिए पड़ा तैमूर नाम
कुछ जानकारों का मानना है कि सैफ के कैरियर की सबसे बड़ी फिल्‍म ओमकारा रही। इस फिल्‍म में लंगड़ा त्‍यागी के किरदार की वजह से सैफ को नेशनल अवार्ड तक मिल गया। तभी से सैफ के दिमाग में यह बात घर कर गई थी कि आगे चलकर इस नाम को कहीं यूज करेंगे। ऐसे में उन्‍होंने अपने बेटे पर यह प्रयोग किया। अब आपको यह भी बता दें कि चग़ताई मंगोलों के खान, 'तैमूर' भी लंगड़ा था।

अब बात गंभीरता से    
हमें ‘तैमूर’ से दिक्‍कत की वजह यह भी है कि यह नाम उस वहशी इंसान के नाम पर है जिसने हिंदूओं को दर्द ही दिया है। यह दर्द झेला हमने है तो स्‍वभाविक है कि मातम भी हम ही मनाएंगे।

ान सवाल उठाने वाले कौन होते हो।
   


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