Sunday 5 June 2016

एक योद्घा जो शांतिदूत था

यह फोटो शूट तब की है जब अली पर नस्लीय हमले हो रहे थे।
 जिस जमाने में अश्वेतों को खुल कर बोलने तक की इजाजत नहीं थी, उस जमाने में महान मोहम्मद अली का मुक्का उठा था और यह यूं ही थम जाने को नहीं उठा था बल्कि सदी का मुक्का बन जाने को उठा था।  अली सिर्फ एक मुक्केबाज ही नहीं थे, उनमें कवि, दार्शनिक, समाजसेवी, लेखक स‌हित तमाम बड़े गुण मौजूद थे।    


मोहम्मद अली का असली नाम क्या था, शायद बताने की जरूरत नहीं और न ही किसी को जानने में ज्यादा दिलचस्पी हो। दिलचस्पी तो उस शख्सियत को जानने में होनी चाहिए जो बैनर पोस्टर रंगने वाले का बेटा था और अपनी साइकिल चोरी हो जाने से दुनिया का सबसे बड़ा मुक्केबाज बन बैठा। दिलचस्पी तो इस बात को जानने में होनी चाहिए कि घूंसे के जोर पर नाम कमाने वाला ‌वह शख्स जीवन भर शांति का प्रतीक 'कबूतर' क्यों पालता रहा ? जब इस 'कबूतर' पालने के पीछे की वजह पूछा गया तो अली ने बताया था कि इस पक्षी से शांत रहने की प्रेरणा मिलती है। मोहम्मद अली वह शख्स हैं जिन्होंने खुद को महान भी बताया तो सनकी भी। जब एक बार पत्रकार ने अली से पूछा कि वह खुद को कैसे याद किया जाना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा था कि एक ऐसे इंसान की तरह जिसने कभी अपने लोगों का सौदा नहीं किया लेकिन अगर वह बहुत ज्यादा है तो आप कह सकते हैं कि मैं महज एक अच्छा बॉक्सर था और तब मैं इस बात का भी बुरा नहीं मानूंगा कि आपने मुझे सुंदर नहीं कहा।  साठ के दशक में जो अश्वेतों के लिए मार्टिन लूथर किंग ने सपना देखा, उस सपने को सबसे पहले मोहम्मद अली ने ही सच किया। कहते हैं कि अली 1960 में रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर जब अमेरिका में एक रेस्टोरेंट में डिनर करने गए तो वेटर नेएक अश्वेत को सर्व करने से मना कर दिया। इस अपमान से आहत अली ने बाहर आकर गुस्से में अपना गोल्ड मेडल यह कहते हुए फेंक दिया कि जिस देश में इस कदर रंगभेद हो, वहां का मेडल मुझे नहीं पहनना है। अली के इस कदम ने अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ हो रहे अत्याचार को एक ही झटके में सार्वजनिक मंच पर ला दिया। पूरी दुनिया में अमेरिका की थू-थू हुई तो अली की वाहवाही। अली ने अश्वेतों के लिए दक्षिण अफ्रीका के गांधी नेल्सन मंडेला से भी मदद ली।  जिंदगी के आखिरी पड़ाव में भी अली ने सामाजिक द्वेष के खिलाफ आवाज उठाई। कुछ माह पहले ही उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप के मुसलमानों पर घृणित बयान की आलोचना की थी।  ट्रंप का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि मुसलमानों को उन लोगों के खिलाफ खड़े होना पड़ेगा जो इस्लाम का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए करते हैं।'  ट्रंप के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा था कि ऐसा करके ट्रंप ने कइयों को इस्लाम के बारे में जानने से रोक दिया है। उन्होंने इस्लामिक स्टेट के जिहादियों की हिंसक गतिविधियों की भी कड़ी आलोचना की। वह कहते थे कि वह मुकाबला जीतेंगे और जीत भी जाते। वह यहां तक कह देते कि किस राउंड में जीतेंगे और उस राउंड तक उनकी जीत भी हो जाती लेकिन दुनिया उन्हें समझ चुकी थी। वह जान चुकी थी कि छह फीट तीन इंच का यह नौजवान यूं ही दावे नहीं करता।  दस्ताने टांगने के बाद जब भी ये हाथ उठते थे या तो दुआ के लिए या फिर समाज के लिए।  गरीब देशों की बात हो या उनके अपने लूजियाना प्रांत की, गरीबों की मदद करने से वह जरा भी नहीं हिचकिचाते थे।  जिस वक्त वह अपने कैरियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में थे, उनकी बॉक्सिंग पर प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि वह फौज में  शामिल होने के लिए तैयार नहीं थे। अमेरिका ने वियतनाम के खिलाफ लड़ाई खोल दी थी, जिसका वह खुल कर विरोध कर रहे थे। 1971 में उनकी अपील पर अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने ये बैन हटाया। उनके मुक्के पर ताला जड़ दिया गया लेकिन भला हिम्मत को कौन रोक सकता था।  वह रिंग में लौटे, तो जबरदस्त विस्फोट हुआ। साठ के दशक का मोहम्मद अली सत्तर के दशक में भी चैंपियन बन बैठेद। इस दौरान 1971 में सदी की सबसे बड़ी मुक्केबाजी जंग भी हुई, जब वह जो फ्रेजियर से भिड़े। उस बार हार गए लेकिन दूसरी बार में जीत हासिल की। कई संस्थाओं ने 1999 में मोहम्मद अली को पिछली सदी का महानतम खिलाड़ी घोषित किया। अमेरिका ने झुक कर उन्हें सलाम किया। अली की जिंदादिली का अंदाजा इस बात से लगता है कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने 1990 में कुवैत पर हमला करके 2000 से ज्यादा विदेशियों को बंधक बना लिया था। बंधकों को छुड़ाने के लिए मोहम्मद अली सद्दाम से बातचीत करने बगदाद पहुंचे। अली के साथ 50 मिनट की बातचीत के बाद सद्दाम ने 15 अमेरिकी बंधकों को छोड़ दिया था। वह अगली पीढ़ी के  मैजिक जॉनसन, कार्ल लुइस और टाइगर वुड्स के लिए मसीहा साबित हुए। अली ने खेल की दुनिया में अश्वेतों के लिए जो दरवाजे खोले, उसे भला कौन भूल सकता है। खेल की दुनिया उनका स्वागत करती है।

फाइट से पहले नहीं करते थे सेक्‍स
सदी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के खिताब से नवाजे जा चुके मुक्केबाज मोहम्मद अली के विषय में कहा जाता था कि वह रिंग में अपनी किसी भी बड़ी फाइट के पहले सेक्स करना बंद कर देते थे। यह समय कुछ लोगों के हिसाब से दो महीनों का होता था जबकि कुछ लोग मानते हैं कि बॉक्सर अली सिर्फ छ: हफ्तों के लिए ही खुद पर नियंत्रण रखते थे। मोहम्मद अली ने अपनी सेक्स अपील के लिए भी खास प्रसि‌‌िद्ध पाई और यहीं से इस विचार ने बहस को जन्म दिया कि क्या सेक्स और खिलाड़ियों के प्रदर्शन में कोई संबंध है?



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अली के अनमोल वचन
मोहम्मद अली एक महान मुक्केबाज होने के साथ-साथ एक अच्‍छे समाजसेवी भी थे। प्रस्‍तुत है ऐसे महान व्‍यक्ति द्वारा कहे गए कुछ अनमोल वचन –

दोस्ती कुछ ऐसा नहीं है जो आप स्कूल में सीखते है। लेकिन यदि आपने दोस्ती का मतलब नहीं सीखा तो दरअसल आपने कुछ नहीं सीखा।
मैं ट्रैनिंग के हर एक मिनट से नफरत करता था, लेकिन मैंने कहा , हार मत मानो। अभी सह लो और अपनी बाकी की जिंदगी एक चैंपियन की तरह जियो।
मुझे पता है मैं कहां जा रहा हूं और मुझे सच पता है, और मुझे वह नहीं होना है जो तुम चाहते हो। मैं वह होने के लिए स्वतंत्र हूं जो मैं चाहता हूं।
नदियां , तालाब , झीलें और धाराएं – इनके अलग-अलग नाम हैं, लेकिन इन सबमे पानी होता है ठीक वैसे ही जैसे धर्म होते हैं- उन सभी में सत्य होता है ।
मैं सबसे महान हूं, मैंने ये तब कहा जब मुझे पता भी नहीं था कि मैं हूं।
वह जो जोखिम उठाने का साहस नहीं रखता अपने जीवन में कुछ हासिल नहीं कर सकता।
जो आदमी पचास की उम्र में दुनिया को उसी तरह देखता है जैसा कि वह बीस में देखा करता था , ने अपने जीवन के तीस साल बर्बाद कर दिए हैं।
दृढ वचनो की पुनरावृत्ति विश्वास पैदा करती है। और एक बार जब वह विश्वास गहरी आस्था में बदल जाता है तो चीजें होने लगती हैं।
मैं इस्लाम धर्म में यकीन रखता हूं। मैं अल्लाह और शांति में यकीन रखता हूं।
 तितली की तरह उड़ो , मधुमक्खी की तरह काटो।
जिस व्यक्ति के पास कल्पना नहीं है उसके पास पंख नहीं हैं।
जो मुझे चलते रहने देता है वो है मेरा लक्ष्य ।
अपने सपनो को सच करने का सबसे अच्छा तरीका है जाग जाओ ।
 बुद्धिमत्ता ये जानना है कि कब आप बुद्धिमान नहीं हो सकते ।

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कुछ रोचक बातें
- मोहम्मद अली को फ्लाइट में बैठने और ऊंची उड़ान भरने से बहुत डर लगता था। जब वह 1960 के ओलंपिक में रोम जाने के लिए प्लेन में बैठे तो उन्होंने एयर होस्टेस से उन्हें पैराशूट पहनाने का निवेदन किया था।
- शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि मोहम्मद अली एक बेहतरीन बॉक्सर होने के साथ-साथ गायक, ऐक्टर और कवि भी थे।  उन्होंने अपना ऐल्बम ‘आई एम द ग्रेटेस्ट’ रिलीज किया था।
-  अली जब छोटे थे तो उन्होंने उस समय के फेमस बॉक्सर शुगर रे रॉबिंसन से ऑटोग्राफ मांगा था लेकिन रॉबिंसन ने उन्हें झिड़कते हुए कहा, 'मेरे पास समय नहीं है।' इस बात से अली को इतनी चोट पहुंची कि इसके बाद उन्होंने कभी भी अपने किसी फैन को ऑटोग्राफ के लिए मना नहीं किया।
- अली का प्रैक्टिस करने का तरीका बहुत ही निराला था, वह अपने भाई को खुद पर पत्थर फेंकने के लिए कहते थे और उन पत्थरों से खुद को बचाकर प्रैक्टिस करते थे।
- 1981 में मोहम्मद अली ने एक आदमी को मरने से बचाया था। दरअसल बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या की कोशिश कर रहे एक युवक को जब पुलिसकर्मी आत्महत्या न करने के लिए समझाने में असफल रहे तो मोहम्मद अली ने ये काम कर दिखाया। अली उस आदमी के पास वाली खिड़की से उस आदमी से आधे घंटे तक बात की और उसे यह मनाने में कामयाब रहे कि उसकी निजी जिंदगी में चल रही परेशानियां ठीक हो जाएंगी।
- बहुत कम लोगों को पता होगा कि मोहम्मद अली की बेटी लैला अली भी बेहतरी बॉक्सर रही हैं। अली के नौ बच्चों में सबसे छोटी लैला अली ने 24 मुकाबले लड़े और सभी में जीत हासिल की।  वह कभी न हारने वाली बॉक्सर के रूप में रिटायर हुईं।



अमर उजाला में प्रकाशित

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