Sunday 15 May 2016

भोजपुरी को मिली नई झुलनी!



अभी हाल ही की बात है, मैं भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार ‌दिनेश लाल यादव की फिल्म  निरहुआ हिन्दुस्तानी
देख रहा था। भोजपुरी पृष्ठिभूमि से होने के बावजूद फिल्म देखने से कुछ मिनट पहले तक इस कलेवर की फिल्मों को लेकर मेरा अनुभव कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था। यहां यह बताने में भी हिचक नहीं है कि भोजपुरी के  रवि किशन, दिनेश लाल, मनोज तिवारी जैसे शीर्षस्‍थ अभिनेताओं के नाम के अलावा मुझे ज्यादा कुछ पता भी नहीं रहा है।  लेकिन पिछले कुछ समय से मेरे अंदर भोजपुरी फिल्मों को जानने की जिज्ञासा सी होने लगी है। दरअसल, यह असर फिल्म निरहुआ हिन्दुस्तानी का ही है। ऐसा नहीं है कि मैं फिल्म का प्रमोशन कर रहा ह‌ूं क्योंकि और न ही किसी की भक्‍ति कर रहा हूं क्योंकि यह फिल्म काफी दिनों पहले ही रिलीज हो चुकी है। फिल्म जिन्होंने नहीं देखी है उन्हें बता दूं कि फिल्म में गरीब दिनेश लाल खूबसूरत लड़की से शादी के सपने लेकर मुंबई आता है और यहां परिस्थिति और वसीयत की मजबूरी से बंधी अमीर आम्रपाली दुबे से उसकी  शादी हो जाती है। खास बात यह है कि आम्रपाली दुबे यह जानते हुए भी अनजान दिनेशलाल से शादी करती है कि कुछ दिनों में ही उसके पति को फांसी हो जाएगी और वह दिनेश की इस सजा से बेहद खुश भी है लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर होता है और आम्रपाली को दिनेश के साथ गांव जाना पड़ता है। वहीं इन दोनों में प्यार हो जाता है।  फिल्म में कई गाने हैं लेकिन उनमें से "नी झुलनी के छईयां बलम  .."  गाने की मिठास ने कहीं न कहीं इस सिनेमा की मिठास को सामने लाने का काम किया है। यह गाना इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहा है। इस गाने को यूट्यूब पर अब तक 12 लाख से भी ज्यादा लोग देख चुके है। कल्पना और दिनेश लाल की आवाज में लगभग चार मिनट के इस गाने में अश्लीलता का कोई नामोनिशान नही है। दरअसल, इस गाने ने मेरे जैसे लोगों की सोच को बदलने का काम किया है और भोजपुरी फिल्मों और गानों पर फिर से विश्वास की अलख जगाने की कोशिश भी की है।  शायद यह मेरे अस्थिर व्यवहार का परिचय रहा हो लेकिन सच यह है कि निरहुआ और पवन सिंह जैसे कलाकारों के जरिए भोजपुरी फिल्म अपने आप को बदल भी रहा है और गढ़ भी रहा है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि दो साल पहले तक गुडु रंगीला, राधेश्याम रसिया और बादल बवाली या फिर कल्लुआ, दिपक दिलदार जैसे गायकों ने अश्लीलता की सारी हदें पार कर दी थीं । यही वजह है कि भोजपुरी गानों की विश्वसनीयता भी कठघरे में आई। भोजपुरी गानों का नाम सुनते ही हमरा हऊ चाहीं, सात आईटम, चुए लागल और चढ़ल जवानी रसगुल्ला बा जैसे गाने दिमाग में आते थे लेकिन अब 'नी झुलनी के छईयां' जैसे गाने की वजह से भोजपुरी को नई झुलनी यानी नया गहना मिल गया है।  


https://www.youtube.com/watch?v=FmEgQYzcAns 

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