Sunday 24 April 2016

बच के कहां जाओगे बच्चू


इंट्रो - फिल्मी और खेल सितारे अगर किसी ब्रांड का प्रचार करते हैं तो अब उनको सावधान रहने की जरूरत होगी क्योंकि भ्रामक विज्ञापनों को लेकर सरकार कानून बनाने जा रही है। इसके जरिए उन पर शिकंजा कसा जा सकता है। यानी अब वे प्रचार में किए गए दावों-वायदों के प्रति अपनी जिम्मेदारी-जवाबदेही से बच नहीं सकेंगे।

कुछ साल पहले महानायक अमिताभ बच्चन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट-अहमदाबाद में दिए एक व्याख्यान में कहा था, 'मेरे पास एक छोटी बच्ची आई और उसने कहा कि आप पेप्सी जैसी चीजों के विज्ञापन क्यों करते हो जिनके बारे में मेरी टीचर कहती हैं कि उसमें जहर होता है।' अमिताभ के मुताबिक इसके बाद उन्होंने अपने आपको पेप्सी से अलग कर लिया। वैसे इस बात के लिए अमिताभ को मिली जुली प्रतिक्रिया मिली।  जहां कुछ लोगों ने उनके इस कदम को सराहनीय बताया वहीं कई लोगों का ये भी मानना था कि जिस प्रोडक्ट से अमिताभ बच्चन लंबे समय तक जुड़े रहे, बाद में उसके बारे में उन्हें ऐसी 'आपत्तिजनक' बात नहीं कहनी चाहिए थी कुछ लोगों ने ये भी कहा कि अमिताभ तकरीबन आठ साल पेप्सी से जुड़े रह, तब उन्हें इसके जहरीले होने की और लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चिंता क्यों नहीं सताई ? संभवतः अमिताभ की यह कहानी फिल्मी रही हो लेकिन सवाल है कि
क्या सितारे किसी विज्ञापन को करने से पहले रिसर्च करते हैं? क्या किसी प्रोडक्ट का ब्रांड एंबेसडर बनने से पहले वह अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारियों के बारे में भी सोचते हैं ? क्या वह उस खास प्रोडक्ट के बारे में पूरी पड़ताल करते हैं या वह उस विज्ञापन को करने से मिलने वाले पैसे पर ही ध्यान देते हैं ? क्यों‌कि पिछले दिनों जब आम्रपाली ग्रुप के ब्रांड एंबेसडर भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र
सिंह धोनी पर लोगों का गुस्सा फूटा तो उन्होंने खुद को  ब्रांड एंबेसडर पद से अलग कर लिया। धोनी ने जाते - जाते लोगों के हित के लिए आम्रपाली ग्रुप से एक औपचारिक विनती भी कर दी। दरअसल ग्रेटर नोएडा में घर खरीदारों को वक्त पर मकान ना दे पाने की वजह से ग्राहकों में आम्रपाली बिल्डर के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है। गुस्सा जायज भी है, क्योंकि मध्यम‌वर्गिय परिवार को एक घर के सपने के पीछे पूरी जिंदगी को दांव पर लगा देनी पड़ती है और उन सपनों को पंख देने का काम बड़े - बड़े सितारे ब्रांड एंबेसडर के रूप में करते हैं लेकिन जब उन्हें हक दिलाने की बारी आती है तो चुपके से किनारे हो लेते हैं।  सवाल है कि क्या किसी कंपनी का ब्रांड एंबेसडर,  ऐसा गैर जिम्मेदाराना रवैया अपना सकता है ? बहरहाल, सितारों द्वारा भ्रामक विज्ञापन के चलते मोह जाल में फंस जाने वाले उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए संसदीय समिति उपभोक्ता संरक्षण कानून में जिन संशोधनों पर विचार कर रही है, उन्हें अगर संसद से मंजूरी मिल गई तो फिर सितारे प्रचार में किए गए दावों-वायदों के प्रति अपनी जिम्मेदारी-जवाबदेही से बच नहीं सकेंगे। संसदीय समिति के विचाराधीन प्रस्तावों के मुताबिक पहली बार भ्रामक प्रचार का दोषी पाए जाने पर सितारे को 10 लाख रुपये दंड या दो साल की सजा अथवा दोनों हो सकते हैं। दूसरी बार भ्रामक प्रचार का दोषी पाए जाने पर 50 लाख रुपये दंड या पांच साल की सजा का प्रावधान होगा।  यह सर्वविदित तथ्य है कि देर से ही सही, इस पहल की जरूरत भ्रामक विज्ञापनों के बेलगाम सिलसिले से ही रेखांकित हुई है। पिछले साल जब मैगी नूडल्स के सैंपल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाए गए, तब महानायक अमिताभ बच्चन समेत अनेक बड़े सितारे अपने प्रशंसकों के प्रति जिम्मेदारी-जवाबदेही के सवाल पर कठघरे में खड़े नजर आए। बड़ी मासूमियत से सफाई देने की कोशिश की गई कि उनके लिए प्रचारित उत्पादों-सेवाओं की गुणवत्ता-विश्वसनीयता जांच पाना संभव नहीं है। निश्चय ही यह सफाई कानून सम्मत समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकती। फिल्मी सितारे हों या खेल सितारे, वे अपने लाखों प्रशंसकों के प्रति जिम्मेदारी-जवाबदेही से मुक्त नहीं हो सकते, जो उनके नाम-चेहरे से ही किसी उत्पाद के खरीददार बन जाते हैं।

अब जिम्मेदार भी होगी तय
सितारों द्वारा भ्रामक विज्ञापन के चलते मोह जाल में फंस जाने वाले उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए संसदीय समिति उपभोक्ता संरक्षण कानून में जिन संशोधनों पर विचार कर रही है, उन्हें अगर संसद से मंजूरी मिल गई तो फिर सितारे प्रचार में किए गए दावों-वायदों के प्रति अपनी जिम्मेदारी-जवाबदेही से बच नहीं सकेंगे। संसदीय समिति के विचाराधीन प्रस्तावों के मुताबिक पहली बार भ्रामक प्रचार का दोषी पाए जाने पर सितारे को 10 लाख रुपये दंड या दो साल की सजा अथवा दोनों हो सकते हैं। दूसरी बार भ्रामक प्रचार का दोषी पाए जाने पर 50 लाख रुपये दंड या पांच साल की सजा का प्रावधान होगा।  अगर अन्य देशों में कानून की बात करें तो अमेरिका में फेडरल ट्रेड कमॉशियल एक्ट के तहत विज्ञापन में प्रोडक्ट के बारे में दावा करने वाली सेलिब्रेटी को असल जिंदगी में भी उसका इस्तेमाल करना पड़ता है।  कंपनी सिर्फ तब तक एक सेलिब्रेटी का इस्तेमाल विज्ञापन में कर सकती है जब तक उसे यकीन होता है कि प्रोडक्ट पर सेलिब्रेटी का विश्वास कायम है।  वहीं जापान में भ्रामक प्रचार का दोषी पाये जाने के बाद सेलिब्रेटी को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी पड़ती है, इससे उसकी साख को भी नुकसान पहुंचता है।  दक्षिण कोरिया में बनाए गए कड़े नियमों का पालन विज्ञापन करने वाली हस्तियों को करना पड़ता है और प्रोडक्ट्स से जुड़ी ज़िम्मेदारियों में सेलिब्रेटियों की भी जवाबदेही होती है। चीन में स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन आफ इंडस्ट्री एंड कॉमर्स के पास देश की गलत छवि बनाने वाले और भ्रामक प्रचार करने वाले सितारों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है।


भरोसा पहले, पैसा बाद में
कई ऐसे भी सितारे हुए हैं जिन्होंने अपने प्रशंसकों के भरोसे को बनाए रखा है। अभिनेत्री कंगना रनौत ने फेयर एंड लवली ब्रांड का ऑफर ठुकरा दिया था। उन्‍हें यह ऑफर करीब दो करोड़ का मिल रहा था। इस दौरान कंगना ने कहा कि वह एक सेलिब्रेटी हैं और वह अगर ऐसे ऐड करेंगी तो लोगों को उन पर विश्‍वास हो जाएगा और हो सकता वह उनके भरोसे पर इसका इस्‍तेमाल भी करें। इसलिए उन्‍होंने साफ मना कर दिया कि चंद पैसों के लिए वह लोगों के विश्‍वास से धोखा नही कर सकती हैं। इसके अलावा रिचा चड्ढा भी एक बार ब्रांडेड विज्ञापन को लेकर चर्चा में रह चुकी हैं। वह भी एक फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन को ठुकरा चुकी हैं। उन्‍होंने इस यह कह कर एक बडा़ ऑफर ठुकरा दिया था कि वह अपने आदर्शों को बेचकर विज्ञापन नहीं कर सकती हैं।  रितिक रोशन ने भी समाज के प्रति अपनी मानवीय भावना को दर्शा चुके हैं।  दिसंबर 2012 में उन्‍हें एक मोबाइल कंपनी की ओर से 20 करोड़ रुपये तक की पेशकश की गई थी लेकिन रितिक ने यह कहकर मना कर दिया है कि मुझे नहीं लगता कि जो चीजें इस विज्ञापन में दिखाई जाएंगी वह हकीकत में लोगों तक पहुंच सकेंगी। ऐसे में जब लोग खरीदेंगे और उन्‍हें वे फीचर नहीं मिलेंगे तो उन्‍हें बुरा लगेगा।  आमिर खान भी भ्रम फैलाने वाले विज्ञापनों से बचने के प्रयास में रहते हैं। ऐसे मे वह भी साल 2013 में जब सत्‍यमेव जयते शो को लेकर लोगों के बीच छाए थे, तभी उन्‍होंने भी एक बड़ी गाड़ी की कंपनी के ऑफर को ठुकराया था। उन्‍होंने एक लक्जरी कार ब्रांड को यह कहकर मना कर दिया था कि वह लोगों को गुमराह नहीं कर सकते हैं।  शिल्‍पा शेट्टी भी एक बडे अंतरराष्ट्रीय फूड ब्रांड के विज्ञापन ऑफर को ठुकरा चुकी हैं। इसको लेकर शिल्‍पा सोशल मीडिया पर भी छाई रही हैं। उन्‍होंने यहां तक कहा था कि एक पत्‍नी और मां होन के नाते मैं ऐसी चीजों को बढा़वा नहीं दे सकती हूं जो लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ खिलवाड़ करें। मैं ऐसे विज्ञापन करने के सख्‍त खिलाफ हूं। अभिनेता अनिल कपूर भी इन भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ हैं। उन्‍होंने भी व्हिस्की ब्रांड जूड लॉ की एक लघु फिल्‍म के ऑडियो अनवारण में शामिल हुए थे। इस दौरान अनिल ने कहा था कि ये मीडिया से कहा था कि वह एक शराब ब्रांड को अपना समर्थन नहीं दे सकते हैं। इसी तरह अभिनेता नवाजद्दीन सिद्दिकी ने भी एक बडे ब्रांड का ऑफर ठुकरा दिया था।

विवाद के साए में
ब्रांड की चमक

विवाद कई बार ब्रांड और ब्रांड एंबेसडर को फायदा भी पहुंचाते हैं । मसलन, कल्याण ज्वैलर्स को सिर्फ एक विदेशी ज्वैलर्स चेन के रूप में लोग जानते थे, जो भारतीयों की सोने के प्रति चाहत को आधार बनाकर अपना कारोबार चलाता है।  लेकिन एक विज्ञापन के दौरान नस्लवाद और बच्चों की गुलामी को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए जब ऐश्वर्या राय बच्चन पर निशाना साधा गया तो कल्याण ज्वैलर्स को तो इससे तुरंत प्रचार मिल गया है।  ज्वैलर्स ने विज्ञापन को वापस लिया लेकिन उसका पूरा फायदा लेने के बाद।  मार्केट के जानकारों की मानें तो इस विवाद ने ब्रांड को और चर्चित कर दिया। ऐश्वर्या की तरह ही निकोल किडमैन भी एक विज्ञापन की वजह से परेशान हुई थीं। वह एतिहाद एयरवेज की विदेशी एयरबस 380 के विज्ञापन में दिखाई दी थीं। एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल फ्लाइट अटैंडेंटस् ने एक पत्र लिखकर निकोल से मांग की थी कि वह खुद को एयरलाइन से अलग कर लें, जिसकी नीतियां महिला कर्मचारी विरोधी थीं।  एसोसिएशन ने इस पत्र में निकोल को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दिए गए उनके प्रेरक भाषण की याद भी दिलाई। ट्विटर पर हुए हंगामे ने निकोल और एतिहाद एयरवेज को मुफ्त का प्रचार दिलाया।  एक प्रमुख चिप्स ब्रांड पोपचिप्स की बिक्री में खासा इजाफा हुआ, जब हॉलीवुड स्टार एश्टन कुचर इसके एक ऑनलाइन विज्ञापन में दिखाई दिए। एक बॉलीवुड निर्माता के रूप में, जो प्यार की तलाश में है। भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने भारतीयों को गरीब दिखाने के लिए कुचर पर अपना गुस्सा निकाला। विज्ञापन वापस ले लिया गया, लेकिन पोपचिप्स की खपत अभी भी भारतीय-अमेरिकियों में ज्यादा होती है। सोडास्ट्रीम, इजराइल की सोडा मशीन बनाने वाली यह कंपनी उस वक्त सुर्खियों में आई जब स्कारलेट जोहानसन ने इसके ब्रांड एंबेसडर के रूप में काम करने से मना कर दिया। जोहानसन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि एक मानवतावादी संगठन ऑक्सफेम ने इजराइल के साथ किसी भी तरह के व्यापार का विरोध किया था। यह विवाद प्रोडक्ट के भविष्य के लिए अच्छा था।


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जब एंबेसडर फंसे तो
कंपनी ने बना ली दूरी
विज्ञापन की दुनिया में कई ऐसे मौके भी आए हैं जब ब्रांड एंबेसडर मुसीबत में फंसे हैं तो कंपनी ने उनका साथ देने की बजाए दूरी बना ली है।  अमिताभ बच्‍चन और महेंद्र सिंह धोनी के अलावा कई अन्‍य उदाहरण भी हैं।  हाल ही में असहिष्‍णुता पर बयान देकर फंसे आमिर खान का विरोध बढ़ा तब स्नैपडील ने उनसे मुंह मोड़ लिया। वहीं   टेनिस की दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला खिलाड़ी मारिया शारापोव हाल ही में डोपिंग टेस्ट में फेल होने की वजह से प्रतिबंधित कर दी गई हैं। इसका सबसे बड़ा असर उनके विज्ञापन बाजार पर पड़ा और नाइके स‌हित कई बड़ी कंपनियों ने उनसे नाता तोड़ लिया। जबकि  अमेरिका के धावक जस्टिन गैटलिन पर 2004 एथेंस ओलंपिक में डोपिंग टेस्ट में फेल होने की वजह से चार साल का बैन लगा। इसका असर यह हुआ कि स्पोर्ट्स की बड़ी कंपनी नाइके ने उनसे करार तोड़ लिया।  जब 2013 में दक्षिण अफ्रीका के पैरालिंपिक एथलीट ऑस्कर पिस्टोरियस पर प्रेमिका रीवा स्टीनकैंप के खून का आरोप लगा तब स्पोर्ट्स कंपनी ओकले ने उनसे नाता तोड़ लिया वहीं नाइके ने भी अनुबंध को आगे नहीं बढ़ाया। मशहूर फुटबॉलर और अमेरिकन मूवी स्टार सिंपसन को कैलिफॉर्निया में पूर्व पत्नी और उसके दोस्त की हत्या और कसीनो में डकैती के अपराध में गिरफ्तार किया गया। इस घटना के बाद अमेरिका की हार्टज कार कंपनी ने सिंपसन से करार तोड़ दिया। इस कंपनी से सिंपसन को हर साल पांच लाख डॉलर यानी करीब 3.50 करोड़ रुपये की आमदनी होती थी। ऑस्ट्रेलिया की तीन बार ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता तैराक स्टेफनी राइस से जगुअर कार कंपनी ने तब दूरी बना ली जब उन्होंने 2010 में समलैंगिकों के विरोध में ट्वीट किया। यह कंपनी उन्हें करीब एक लाख डॉलर का भुगतान करती थी। अमेरिका की पॉप स्टार माडोना से 1989 में पेप्सी ने करार तोड़ लिया। माडोना ने उस दौरान चर्च और कैथोलिक समुदाय के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। 1988 में पत्नी द्वारा गाली - गलौच के आरोप के बाद मुक्केबाज माइक टायसन से पेप्सी ने करार तोड़ लिया। डोपिंग में फंसने के बाद लांस आर्मस्ट्रांग से नाइके, ट्रेक साइकल्स, एफआरएस जैसी बड़ी कंपनियों ने करार तोड़ लिया। 2010 में सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद अमेरिका के दिग्गज गोल्फर टाइगर वुड्स से पेय पदार्थ कंपनी गेटोरेड जीएम ने करार तोड़ लिया। एयरपोर्ट के बाहर स्मोकिंग करते हुए अमेरिका के स्टार तैराक फेलेप्स की तस्वीर सार्वजनिक होने के बाद खाद्य प्रोडक्ट केलॉग ने उन्हें अपना एंबेसडर बनाने से इन्कार कर दिया। 2001-02 में सलमान की गाड़ी से फुटपाथ पर सो रहे एक मजदूर की कुचलकर मौत हो गई, चार घायल हो गए। इस घटना के बाद थम्सअप कोल्ड ड्रिंक ने सलमान खान से करार तोड़ लिया । मुंबई की टाडा अदालत ने 2007 में संजय दत्त को आर्म्स एक्ट के तहत छह साल कैद की सजा सुनाई । इस घटना के बाद कोलकाता की गारमेंट्रस कंपनी रूपा ने उनसे करार तोड़ लिया। माडल कैट मोस को हवाई अड्डे पर स्मोकिंग करते हुए पकड़ा गया तो उनसे ट्रेवन कार कंपनी ने करार तोड़ लिया। वहीं इंग्लैंड के फुटबॉलर रूनी को 2010 में पेप्सी ने नाता तोड़ लिया। रूनी पर पत्नी को धोखा देने का आरोप लगा था।

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विज्ञापन की दुनिया बेहद दिलचस्प है। कंपनियां विज्ञापन के जरिए अपने प्रोडक्ट और ब्रांड वैल्यू बढ़ाती हैं। इसके लिए सेलेब्रिटीज को कंपनी के साथ जोड़ा जाता है। लेकिन कुछ विज्ञापन अपनी स्क्रिप्टिंग और प्रेजेंटेशन के चलते विवादों में घिर जाते हैं। जनता के बीच ऐसे विज्ञापनों का चेहरा कोई सेलेब्रिटी होता है तो उसे भी विवादों से जूझना पड़ता है। इनमें अभिनेताओं की तो किरकिरी होती ही है, साथ ही राज्य व केंद्र सरकार की भी टेंशन बढ़ जाती है।

विज्ञापनः किसान चैनल
विवादः जुलाई, 2015 विज्ञापन के बदले अमिताभ बच्चन पर 6.31 करोड़ रुपये लेने का आरोप
मामल - केंद्र सरकार ने मई में ही किसान चैनल लॉन्च किया है। इसके विज्ञापन के लिए बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को लिया गया था। दावा है कि बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन ने किसान चैनल का विज्ञापन करने की लिए फीस ली है। जबकि अमिताभ बच्चन ने खुलासा किया उन्होंने कोई फीस नहीं ली है।  इसके अलावा पिछले साल तक अतुल्य भारत के ब्रांड एंबेसडर रहे आमिर खान जब इंटॉलरेंस पर फंसे तो अमिताभ बच्चन को अतुल्य भारत का एंबेसडर बनाने की तैयारी शुरू हो गई । लेकिन हाल ही में टैक्स चोरी से जुड़े पनापा पेपर्स मामले में उनका नाम उछला तो इसका खामियाजा बिग बी को इसके एंबेसडर से हटा दिया गया।

कल्याण ज्वैलर्स
विवादः अप्रैल, 2015 में नस्लभेदी और बाल मजदूरी को बढ़ावा देने का आरोप लगा।
क्या था मामला
अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने कल्याण ज्वैलर्स के साथ 10 करोड़ रुपए सालाना में करार किया था। उन पर आरोप लगे थे कि ये विज्ञापन ‘नस्लीय’ होने के अलावा बच्चों की गुलामी को बढ़ावा देता है। इस विज्ञापन में आभूषणों से लदी ऐश्वर्या राय के पीछे एक दुबले-पतले सांवले रंग के बच्चे को लाल रंग की छतरी उठाए हुए दिखाया गया था। सामाजिक कार्यकर्ताओं के एक ग्रुप ने ऐश्वर्या को लिखे पत्र में इस तस्वीर को ‘बेहद आपत्तिजनक’ बताया था। विज्ञापन पर मचे बवाल के बाद कल्याण ज्वैलर्स ने अपने फेसबुक पेज पर माफीनामा जारी किया था।

थम्सअप
विवादः मई, 2015 में बोतल पर नहीं प्रिंट थी फ्लेवर की जानकारी। सैंपल ब्रांडिंग में फेल
क्या था मामला
एमपी में गुना के खाद्य एवं औषधि विभाग ने थम्सअप के सैंपल लेकर उसे जांच के लिए भोपाल की सरकारी लैब में भेजा था। जांच में सामने आया कि थम्सअप ने अपनी बोतल पर फ्लेवर की जानकारी प्रिंट नहीं की है। ग्राहकों को नहीं पता कि वह थम्सअप के रूप में क्या पी रहे हैं। इसके बाद खाद्य एवं औषधि विभाग ने बॉलीवुड कलाकार सलमान खान, अक्षय कुमार और साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के हीरो महेश बाबू को नोटिस थमाया था।

हिमामी फेयर एंड हैंडसम क्रीम
 विवादः 2013 में इस विज्ञापन में शाहरुख मर्दों को गोरा करने की क्रीम के फायदे गिनाते नजर आए थे। इसके बाद शाहरुख पर रंगभेद का आरोप लगा था।
क्या था मामला
लगभग दो साल पहले शाहरुख खान ने एक फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन किया था, जिसपर विवाद खड़ा हो गया था। शाहरुख इस विज्ञापन में मर्दों को गोरा करने की क्रीम के फायदे गिनाते हुए नजर आते थे। इस विज्ञापन के खिलाफ एक ऑनलाइन कैंपेन ‘डार्क एंड ब्यूटीफुल’ शुरू हो गया था। इसके बाद आमिर खान समेत कई बॉलीवुड सितारों ने यह निर्णय लिया कि वे ऐसे किसी प्रोडक्ट का विज्ञापन नहीं करेंगे जो ऐसे भ्रम फैलाती है। हालांकि, शाहरुख खान ने इस विवादित मुद्दे पर चुप रहने में ही समझदारी समझी।

लिवाइस
विवादः 2009 में रैंप शो में प्रचार के लिए अश्लील हरकत का आरोप
क्या था मामला
साल 2009 में खिलाड़ी अक्षय कुमार तब विवादों में घिर गए थे, जब वह फैशन वीक के दौरान रैंप पर उतरे थे। अक्षय कुमार इस रैंप शो में एक जींस के ब्रांड के लिए उतरे थे। इस दौरान अक्षय ने अपनी पत्नी टि्वंकल खन्ना से पैंट का बटन खोलने के लिए कहा और उन्होंने ऐसा किया भी। कई लोगों ने अक्षय और टि्वंकल की इस हरकत को अश्लील बताया। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तो अक्षय के खिलाफ अश्लीलता फैलाने का केस भी दर्ज करा दिया था। हालांकि, विवाद बढ़ने के बावजूद अक्षय ने इस पर माफी मांगने से इनकार कर दिया था।


मैगी
 विवादः मैगी में लेड की मात्रा तय मानक से ज्यादा पाई गई।
कबः जून, 2015
 क्या था मामला
खाद्य एवं रसद विभाग ने यूपी के बाराबंकी जिले से मैगी के 12 अलग-अलग सैंपल लिए। फिर इन्हें केंद्र सरकार की कोलकाता स्थित लैब में टेस्ट कराया गया। रिपोर्ट में मैगी के पैकेटों में लेड की मात्रा 17.2 पार्ट्स प्रति मिलियन (पीपीएम) पाई गई है, यह स्‍वीकार्य सीमा से लगभग सात गुना ज्‍यादा थी। इसके बाद मैगी को भारत में बैन कर दिया। इसके बाद मैगी का विज्ञापन करने वाले अमिताभ बच्चन, प्रिटी जिंटा और माधुरी दीक्षित के खिलाफ कोर्ट ने नोटिस भेजा।




मैनफोर्स
विवाद ः हाल ही में एक नेता ने सनी लियोनी के मैनफोर्स विज्ञापन पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि इस वजह से बलात्कार करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस विवाद के बाद मैनफोर्स कंपनी को विज्ञापन की स्क्रिप्ट बदलनी पड़ी। हालांकि अभी भी इस कंपनी की ब्रांड एंबेस्डर सनी लियोनी हैं।

यह भी हैं
-  इसी तरह मधु सप्रे और मॉडल व एक्टर मिलिंद सोमन का 1995 में आया एक शूज का विज्ञापन अब तक का सबसे विवादित विज्ञापन माना जाता है। विज्ञापन के रिलीज होते हुए इस पर प्रति‍बंध लगा दिया गया था। इस विज्ञापन में दोनों ने सिर्फ जूते ही पहन रखे थे और उनके शरीर पर एक पॉलथीन लिपटा हुआ था। इस विज्ञापन के बाद इन दोनों को तरह के कानूनी नोटिस का सामना करना पड़ा था।

- बिपाशा बसु एवं मॉडल व अभिनेता डिनो मोरिया ने मिलकर 1998 में एक कामुक विज्ञापन किया था जो विवादों में घिर गया था। अंडरवियर के इस विज्ञापन को लेकर लंबे समय तक विवाद जारी रहा था।

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वह चेहरे जिन्हें विज्ञापन
ने दिलाई खास पहचान

विज्ञापन की वजह से अगर सितारों का स्टारडम खतरे में आता है तो यही विज्ञापन कुछ आम लोगों को स्टार भी बना देते हैं। ऐसे ही कुछ चेहरे हैं जिन्हें सेलिब्रेटी बनाने में विज्ञापन ने अहम भूमिका निभाई है।

साशा क्षेत्री
आपने एयरटेल का 4 जी वाला विज्ञापन तो देखा ही होगा। उसमें दिखने वाली लीड ऐक्ट्रेस का नाम साशा क्षेत्री है। एयरटेल के इस कैंपेन ने उन्हें स्टार बना दिया है। सोशल मीडिया पर उनके चर्चे हैं। कभी साशा के नाम के जोक्स बनते हैं तो कभी उनकी खूबसूरती की तारीफ होती है। ट्विटर पर आए दिन साशा ट्रेंड करती रह‌ती हैं। ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (बीएआरसी) के मुताबिक 19 सितंबर से 20 नवंबर 2015 तक साशा पर फिल्माया गया एयरटेल 4 जी का विज्ञापन 54,406 बार दिखाया गया, यानी कुल 17,08,586 सेकेंड के लिए इस विज्ञापन को लोगों ने देखा। इसका मतलब निकलता है कि वह टीवी पर करीब 475 घंटों के लिए थीं। यू-ट्यूब और अन्य सोशल साइट्स पर भी इस विज्ञापन को खूब देखा और शेयर किया जा रहा है। खबर तो यह भी है कि साशा जल्द ही एक डांसिंग शो को होस्ट करने वाली हैं।

विशाल मल्होत्रा
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2015 के दौरान मौका-मौका विज्ञापन ने धूम मचा दी थी लेकिन ये सिर्फ भारतीय टीम के लिए नहीं बल्कि विशाल के लिए एक सुनहरे मौके जैसा था। भारतीय टीम तो वर्ल्ड कप से बाहर हो गई लेकिन विशाल ने इस मौके को दोनों हाथों से पकड़ा और इस विज्ञापन ने उन्हें रातों रात स्टार बना दिया। दिल्ली के रहने वाले विशाल ने एमिटी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है, लेकिन इस विज्ञापन के हिट होने के बाद अब वह एक्टिंग की तरफ ही ध्यान दे रहे हैं। क्रिकेट के बड़े टूर्नामेंटों में और खासकर पाकिस्तान के खिलाफ मैच के दौरीन विशाल का मौका - मौका विज्ञापन जरूर चर्चा में रहता है।

करन लुनेल
20वें दशक में लिरिल साबुन बड़ा ब्रैंड बन कर सामने आया, जिसमें सबसे बड़ा हाथ रहा करन लुनेल का। लिरिल के विज्ञापन में टू-पीस पहने झरने में नहाती लड़की ने जैसे विज्ञापन दुनिया में आग लगा दी थी। रातों रात लिरिल की सेल कई गुना बढ़ गई थी। खास बात यह है कि 47 सेकेंड का यह विज्ञापन  उस साल रिलीज हुआ ‌जब फिल्म शोले की धूम थी। 2009 में जब लुनेल की मौत की अफवाह उड़ी तब उनके विज्ञापन को एक बार फिर यू-ट्यूब पर लाखों लोगों ने देखा।  इस विज्ञापन के बाद भी इस कंपनी ने कई बार ऐसे विज्ञापन बनाए लेकिन उसमें दिखाई गई मॉडल्स करन को टक्कर नहीं दे पाईं। एक बार फिरर हिंदुस्तान यूनीलिवर ने लिरिल साबुन को लॉन्च करने के लिए इसी हॉट ऐड को चुना ।

कविता चौधरी
सर्फ में ललिता जी का किरदार निभाने वाली उस महिला को कौन भूल सकता है। बड़ी-बड़ी ऐड एजेंसियां मानती हैं कि सर्फ डिटरजेंट को घर-घर पहुंचाने में एक्ट्रेस ललिता जी का बहुत बड़ा रोल रहा है। इस ऐड ने ललिता जी यानी कविता चौधरी को भारत में फेमस कर दिया था। इससे पहले ललिताजी की पहचान टीवी सीरियल उड़ान के आईपीएस ऑफिसर के रूप में होती थी। हालांकि, उन्होंने 1970 से 80 के दशक में बॉलीवुड की कई फिल्मों में काम किया। विज्ञापन एजेंसी लिंटास के मुताबिक इस ऐड ने बहुत ही कॉमन फेस वाली भारतीय महिला 'ललिता जी' को फेमस बना दिया। इस तरह सर्फ भी एक ब्रांड बन गया।

नीरू देशपांडे
विज्ञापन से बने स्टार्स की बात हो और ऐसे में पार्ले-जी बिस्कुट की बात न हो, ये कैसे हो सकता है। देश की सबसे ज्यादा बिकने वाले इस बिस्कुट के पैकेट पर बनी बच्ची का नाम है नीरू देशपांडे। जब इस पैक को डिज़ाईन किया गया था तब नीरू की उम्र चार साल थी और आज वह 60 साल की हैं। कई लोग मानते हैं कि नीरू की इस तस्वीर ने पार्ले-जी को एक ब्रैंड बना दिया है।  यह बिस्कुट 1939 से बनना शुरू हुआ था। तब इसका नाम ग्लूको बिस्किट था। अपना पल्लू संभालती एक औरत इसके पैकेट में बनीं थी। लेकिन आजादी के बाद इस बिस्कुट ने अपना रूप बदला। सन 1947 को एक बच्ची यानी नीरू देशपांडे की फोटो इसमें डाली गई है।

यामी गौतम
फेयर एंड लवली के विज्ञापन से यामी गौतम की जिंदगी बदल गई। इस विज्ञापन में इनकी खूबसूरती का ऐसा जादू चला कि बॉलीवुड तक का सफर इन्होंने तय कर लिया। आज ये एक स्टार हैं और कई जवां दिलों की धड़कन. आज भी यामी को आप इस विज्ञापन में देख सकते हैं। यामी गौतम की पहचान अब फिल्म विक्की डोनर से भी है । उन्होंने हाल ही में फिल्म सनम रे में भी मुख्य भूमिका निभाई।

सैयामी खेर
मॉडलिंग में अपनी खूबसूरती का लोहा मनवाने के बाद सैयामी ने विज्ञापन की दुनिया में कदम रखा, जहां उन्हें लेविस, पैंतलुस, लोरेल जैसे बड़े ब्रैंड के साथ काम किया और आज उन्हें राकेश ओमप्रकाश मेहरा की आने वाली फिल्म मिर्जया में लीड रोल मिला है।

राणा प्रताप और गोल्डी दुग्गल
जय-वीरू,  चाचा चौधरी-साबू,  मोदी-शाह से ज्यादा अगर कोई जोड़ी टेलीविजन स्क्रीन पर फेमस हुई है, तो वह हैं फाइव स्टार वाले रमेश-सुरेश। और शायद आपको एहसास भी नहीं हुआ होगा, लेकिन ये जोड़ी पिछले 11 सालों से फाइव स्टार के विज्ञापन कर रही है।  जहां राणा थिएटर आर्टिस्ट हैं, वहीं गोल्डी डायरेक्टर बनना चाहते हैं और कई फिल्मों में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर चुके हैं।  फाइव स्‍टार के  विज्ञापन ने इन दोनों को खास बना दिया।  एक बार वॉचमैन ने इन दोनों को कैडबरी के ऑफिस में नहीं घुसने दिया था लेकिन जब अपना विग और मेकअप कर के वो वापस आए तो वो वॉचमैन भी उसी लाइन में खड़ा था, जिन्हें रमेश और सुरेश का ऑटोग्राफ चाहिए था। राणा और गोल्डी को अब उनके ही शहर में लोग रमेश और सुरेश के नाम से बुलाया और पहचाना जाने लगा है। जब भी इनका अपने शहर और घर आना होता है हर ओर इनकी चर्चा रमेश और सुरेश नाम से ही होती है। 

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