Sunday 17 April 2016

अपने सीवान से डरता हूं!

 
मैं यह अनुमान लगा सकता हूं कि आगामी चुनाव में अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा।  मैं यह भविष्यवाणी भी कर सकता हूं कि बंगाल, असम, केरल और त‌मिलनाडु में किसकी सरकार बनेगी। यह मेरा घमंड नहीं है, शायद पत्रकारिता से जुड़ाव का नतीजा ह‌ै। दरअसल, पत्रकारिता की दुनिया अनुमान और सूत्रों पर टिकी है। लेकिन जब अपनी जन्मभूमि सीवान के बारे में मुझसे कोई पूछता है तो मेरी सारी सोच धरी की धरी रह जाती है। सारे अनुमान द्यता हो जाते हैं। मैं पिछले कुछ सालों से सीवान से बाहर हूं । जाहिर है वहां कि राजनीतिक समझ भी कमजोर हो चली है और हां, मैंने भी कभी दिलचस्पी नहीं रखी। बस यही जानता था कि सांसद ओमप्रकाश यादव हैं तो विधायक व्यासदेव प्रसाद हैं। यह भी जानता था कि वह रामराज्य मोड़ वाला फ्लाइओवर भी अब 'चालू' हो गया है लेकिन यह अपने जिले को जानने के लिए पर्याप्त नहीं है।  लेकिन हां, सीवान में पिछले कुछ समय से जो माहौल बन या बिगड़ रहा है , उसने एक बार फिर से अपने गृह जिले में दिलचस्पी बढ़ा दी है। यह दिलचस्पी डर और दबाव की है। अब अपने परिवार से हर दिन फोन कर कुशल छेम पूछने का मन करता है। पहले ऐसा कुछ नहीं था। पहले दो - चार दिन भी घरवालों से बात नहीं करता था तब भी एक तसल्ली सी थी।  जब भी मैं परिवार के प्रति आश्वस्त होता था तो उसकी नींव में पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की क्रूरता दबी मिलती थी। लेकिन अब आश्वस्त होने की यह नींव हिल चुकी है। यह सब कब से हुआ, यह बताऊंगा तब आप तुरंत किसी न किसी पार्टी और धर्म के चश्में से देख लेंगे। लेकिन हां यह तब से हुआ है जब सीवान जेल में शहाबुद्दीन से राज्य सरकार का मंत्री मिलने जला गया। शहाबुद्दीन को राज्य की सबसे बड़ी पार्टी राजद की कार्यकारणी में शामिल कर लिया गया। वर्तमान में एक अपराधी को पार्टी में रखने और मिलने जाने में बुराई कुछ नहीं है लेकिन शर्त हो कि वह देशद्रोह के केस में अंदर न हो। पिछले दिनों सीवान के दंगे में वह भीड़ कहां से निकली थी ? उसका मकसद क्या था और उस मोहल्ले का इतिहास क्या है? उस भीड़ का हीरो कौन था? उस भीड़ का निशाना रामनवमी ही क्यों था?  ऐसे तमाम सवाल हैं जिनके जवाब मैं नहीं जानता लेकिन यह जानता हूं कि यह वही सीवान है जो शहाबुद्दीन के पर कतरने पर शांत था और अब फिर से जल पड़ा है। तो क्या युवाओं को किस तरफ जाना चाहिए, इसका निर्धारण अब फिर से वही साहब करेंगे। यह आग बहुत ही खतरनाक है। इस डर के आग में हमारा बचपन झुलसा है, कमोबेश युवा होते - होते भी उस शख्स के नाम से भय था। ..अब सच में अपने सीवान से डरता हूं। 

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