Sunday 31 January 2016

गणतंत्र का आईना: कई कदम चले हम कई कदम हैं बाकी


इस गणतंत्र ने हमको क्या दिया ? हमने क्या खोया, क्या पाया?   66 बरस बीत जाने के बाद पीछे मुड़कर सोचने की इच्छा स्वाभाविक रूप से होती है। नियति के साथ जो मिलन हुआ था, जो सपने देखे थे, जो अरमान संजोए थे, क्या वह पूरे हुए?  आइए इस गणतंत्र पर इन्हीं सवालों का जवाब ढूंढें।


ताकत वतन की हम से है

किसी भी देश की ताकत उसकी आर्थिक और सैन्य क्षमताओं में होती है। साल 2007 में भारत ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बन चुका है, वहीं सैन्य शक्ति के मामले में भी भारत सुपर पावर बनने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अध्य्यन के मुताबिक साल 2045 तक भारत ग्लोबल मिलिट्री पॉवर में शुमार होने लगेगा। यानी एक ऐसा देश जो दुनिया में कहीं भी अपने रणनीतिक जरूरतों के मुताबिक दखल देने की ताकत से लैस होगा। भारत के 606 फाइटर्स में 245 विमान मिग-21 श्रेणी के हैं। इनमें से 100 विमान 2017 में हटा दिए जाएंगे। बाकी 2024 तक हटाए जाएंगे।  जमीनी हमले में 85 विमान मिग-27 प्लेन हैं। ये 2020 तक बेड़े से हटा दिए जाएंगे। भारत के पास कुल 836 विमानों का बेड़ा है लेकिन इनमें से जंग लड़ने लायक विमान 450 ही हैं। आने वाले समय में भारत एक शक्तिमान भारत के रूप में उभर कर आ रहा है।  इस गणतंत्र ‌दिवस हमारे मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसिस ओलांद हैं। भारत को ओलांद से अब तक के सबसे ताकतवर राफेल विमानों पर समझौते की उम्मीद है। राफेल का फ्रेंच में मतलब होता है तूफान। राफेल दो इंजन वाला मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट है। फ्रांस सरकार ने चार यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इसे बनाना शुरू किया था। बाद में जब बाकी तीन देश अलग हो गए तो फ्रांस ने अकेले दम पर ही प्रोजेक्ट को पूरा किया। राफेल को लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है। राफेल विमान महंगे जरूर हैं लेकिन सुखोई के मुकाबले काफी तेज हैं। ये एयर-टू-एयर, एयर-टू-राफेल और एंटी शिप मिसाइलें अपने साथ ले जा सकते हैं। ये डॉगफाइटर श्रेणी के हैं यानी हवा में दुश्मन के विमानों का करीबी से मुकाबला कर सकते हैं। यह खूबी सुखोई में नहीं है।

जब 24 घंटे खुला रहा न्याय का मंदिर

लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि यहां न्यायपालिका न्याय देने के लिए किसी भी वक्त तैयार रहती है। 1993 मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की याचिका को लेकर देर रात को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे सिर्फ इसलिए खुले ताकि किसी निर्दोष को सजा न हो जाए। पूरी बात को कई बार गौर करने के बाद आखिर न्यायपालिका ने अपना फैसला सुनाया। न्यायपालिका ने साथ ही कुछ ऐसे फैसले लिए जिसने दिग्गजों को कानून के मायने के बारे में बता दिए। इसके सबसे अहम उदाहरण आसाराम और सुब्रत राय सहारा हैं। अपने-अपने क्षेत्र के इन दोनों दिग्गजों पर जब कानून का शिकंजा कसना शुरू हुआ , तो दोनों ने पहले इसे काफी हल्के में लिया।  लेकिन कमाल देखिए कि एक बार ये कानून के शिकंजे में फंसे तो फिर इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता फिलहाल इन्हें या इनके कुनबे को नहीं सूझ रहा। कुछ ऐसा ही हाल 1990 के दशक में फिल्म अभिनेता संजय दत्त का रहा था। 1993 मुंबई दंगों के दौरान घर में अवैध असलहा रखने के मामले में कानून ने जब संजय को गिरफ्त में लेना शुरू किया, तब  शुरू में संजय बिल्कुल बेपरवाह नजर आते रहे लेकिन जब कानून का डंडा चला तो उनके होश ठिकाने आ गए। ऐसे कई और उदाहरण मिल जाएंगे जो हमारे देश की न्यायपालिका की मजबूती के बारे में दुनिया को बताते हैं।




कृषि और डेयरी उद्योग का सुपरपावर

एक वक्त भारत को विदेशों से अनाज मंगाना पड़ता था लेकिन अब कृषि और डेयरी उत्पाद के मामले में भारत न सिर्फ आत्मनिर्भर हो चुका है, बल्कि बड़े निर्यातक के तौर पर भी उभर रहा है। 1965 की हरित क्रांति और 1970 के श्‍वेत क्रांति के जरिए भारत आज कृषि और डेयरी उद्योग में बड़ा निर्यातक बन चुका है। वित्त वर्ष 2014 में डेयरी निर्यात 5,000 करोड़ रुपये को छू चुका है, वहीं 2009 तक जीडीपी में कृषि का हिस्सा करीब 16.6 फीसदी था।  इसमें भी कोई शक नहीं रहा है कि धीरे-धीरे भारत दुनिया के सबसे ज्यादा ऊर्जा खपत वाले देश में बदल रहा है। भारत एशिया का तीसरा सबसे बड़ा बिजली उत्पादक है। अब ताप विद्युत और पन बिजली परियोजनाओं के साथ-साथ परमाणु बिजली सयंत्र लगाने की योजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। तेल की जरूरत के मामले में भी 2016-17 तक भारत 71 फीसदी तक जरूरत खुद से पूरा करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।

आईटी में भी हम नंबर वन

सॉफ्टवेयर बनाने, आईटी उत्पाद बनाने में दुनिया भारतीय दिमाग का लोहा मानती है। आईटी सिटी बंगलूरू, हैदराबाद, पुणे, नोएडा और गुड़गांव में ही नहीं आज अन्य छोटे शहरों में भी छोटी-बड़ी आईटी कंपनियों में आईटी तकनीक का विकास जारी है। टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल जैसी देसी कंपनियां भारत की आईटी क्रांति के ध्वजवाहक हैं। मोटा अनुमान है कि भारत में आईटी उद्योग 120 अरब डॉलर का है। 2012 में भारत की जीडीपी में आईटी सेक्टर का हिस्सा 7.5 फीसदी था। इस आईटी क्रांति की बदौलत ही दुनिया के बड़े देशों के आईटी सेक्टर में भी भारतीय प्रतिभाओं का दबदबा बन चुका है। 1980 से 1998 के बीच अमेरिका के सिलिकॉन वैली में जो नई कंपनियां स्थापित हुईं, उनमें सात फीसदी भारत में जन्में उद्यमियों ने शुरू की थीं। यही नहीं, 2007 में एडोबी का सीईओ एक भारतीय शांतनु नारायण को बनाया गया। गूगल की तरक्की में भारतीय प्रतिभा सुंदर पिचाई का अहम योगदान है। जब दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक माइक्रोसॉफ्ट के तीसरे सीईओ की खोज शुरू हुई तो वो भी भारतीय चेहरे सत्या नडेला पर जा कर खत्म हुई।


चमक रहा है युवा भारत

पिछले 10-15 सालों में भारत के युवाओं में एक अहम परिवर्तन की बयार आई है। उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास हुआ है। आश्चर्यजनक रूप से उसके व्यक्तित्व में निखार आया है। यह भारतीय युवा के कुशल मस्तिष्क की ही तारीफ है कि वैश्विक स्तर पर उस पर विश्वास किया जा रहा है। बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां उसे सौंपी जा रही है। यह देश की राजनीति के लिए निसंदेह शुभ और सुखद लक्षण है कि बुजुर्गों की भीड़ में अब युवा चेहरे चमक रहे हैं।  यह भी एक ठंडक देने वाला तथ्य सामने आया है कि गांव का भोला-भाला गबरू जवान अब सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर सहज पकड़ हासिल कर रहा है। अब अपनी विलक्षण प्रतिभा के दम पर उसने बरसों की हीन भावना और संकोच पर विजय हासिल कर ली है। प्रतियोगी परीक्षा से लेकर चिकित्सा, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी हर विधा में अपनी क्षमता का परचम लहराया है। आज शहर के युवा जहां उच्च उपभोक्तावादी ताकतों के शिकार हो रहे हैं,  वहीं अधिकांश ग्रामीण युवाओं ने अपने लक्ष्य   पर से निगाह हटाने की गलती नहीं की है।

यहां फीकी पड़ी चमक


राजनीतिक अखाड़े का केंद्र बनी संसद

भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक चिन्ह संसद को माना जाता है लेकिन वर्तमान दौर में संसद राजनीतिक अखाड़े का केंद्र बनती जा रही है। यही वजह है कि यहां काम कम और हंगामा ज्यादा होता है। पिछले कुछ सालों में संसद में कार्यवाही जिस गति से स्थगित हुई हैं वह बेहद चिंतित करने वाला है। संसद में एक मिनट की कार्यवाही का खर्च ढाई लाख रुपये पड़ता है। यानी एक घंटे का खर्च डेढ़ करोड़ रुपये हो जाता है। आमतौर पर राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन में पांच घंटे चलती है। लोकसभा की कार्यवाही एक दिन में 8-11 घंटे चलती है। अगर लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर रोजाना 11 घंटे काम हों तो सोमवार से शुक्रवार तक का खर्च बैठता है 115 करोड़। 2010- 2014 के बीच संसद के 900 घंटे बर्बाद हुए। 16वीं लोकसभा के पहले सत्र में हंगामे की वजह से 16 मिनट बर्बाद हुए यानी 40 लाख का नुकसान हुआ। दूसरे सत्र में 13 घंटे 51 मिनट बर्बाद हुए यानी 20 करोड़ सात लाख का नुकसान। तीसरे सत्र में तीन घंटे 28 मिनट काम नहीं हुआ यानी पांच करोड़ 20 लाख का नुकसान। चौथे सत्र में सात घंटे चार मिनट बर्बाद हुए यानी 10 करोड़ 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ। पांचवें सत्र में 119 घंटे बर्बाद हुए यानी 178 करोड़ 50 लाख का नुकसान हुआ। संसद का छठा सत्र हाल ही में समाप्त हुआ है। इस सत्र में कार्यवाही स्‍थगित होने की वजह से करीब सौ करोड़ का नुकसान हो गया। 

गहरी हुई अमीर और गरीब के बीच की खाई

अमीर-गरीबों के बीच देश में कितना अंतर बढ़ चुका है, यह तीन बड़ी सर्वे एजेंसियां - ऑक्सफैम, वर्ल्ड वेल्थ और क्रेडिट सुइस के विश्लेषण के बाद पता चलता है।  वर्ल्ड वेल्थ की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अति अमीरों की संख्या दो लाख 36 हजार हो गई है। पिछले साल ये आंकड़ा एक लाख 98 हजार था। यानी एक साल में अति अमीर लोगों की आबादी 19.9% बढ़ गई। अति अमीर वो लोग हैं जिनके पास 10 लाख डॉलर यानी 6.76 करोड़ रुपये या इससे अधिक की चल-अचल संपत्ति है। एशिया पैसेफिक के अति धनाढ्यों की इस सूची में भारत चौथे नंबर पर है, जबकि 12 लाख 60 हजार करोड़पतियों के साथ जापान पहले पायदान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक 1991 में शुरू हुए आर्थिक सुधारों के बाद देश में अमीरों की संख्या 50 गुना तक बढ़ गई, वहीं उनकी संपत्ति में 1100 फीसदी का इजाफा हुआ है। भारत की कुल व्यक्तिगत संपत्ति 2,952 खरब रुपये है। कुल संपत्ति का मतलब जिसमें प्रॉपर्टी, कैश, शेयर सहित बिजनेस से कमाई शामिल हैं। व्यक्तिगत संपत्ति के लिहाज से चीन शीर्ष पर है। उसके पास 11 हजार 669 खरब रुपये की संपत्ति है। भारत एक ओर तो कुल निजी संपत्ति रखने वालों के मामले में एशिया पैसेफिक रीजन का चौथा बड़ा देश है, लेकिन प्रतिव्यक्ति आय के मामले में निचले पायदान पर है। दो लाख 36 हजार 775 रुपये के साथ भारत नीचे की तीन पायदान में है। जबकि 1.38 करोड़ रुपये के आंकड़े के साथ ऑस्ट्रेलिया पहले नंबर पर है। यानी ऑस्ट्रेलिया के लोग एशिया पैसेफिक में किसी भी अन्य देश के लोगों से ज्यादा धनी हैं। 1.08 लाख रुपये के साथ पाकिस्तान में लोग सबसे गरीब हैं।  यहां यह भी बता दें कि देश की कुल संपत्ति का 53 फीसदी हिस्सा यानी 16 लाख खरब रुपए महज 1 फीसदी या 25.4 लाख परिवारों के पास है। देश की कुल संपत्ति का 76.3% हिस्सा 10 फीसदी परिवार के पास है और बाकी 90 फीसदी के हिस्से बचती है महज 23.7 फीसदी संपत्ति।

आत्महत्या करते हमारे अन्नदाता

‘भारत एक कृषि प्रधान देश है’, यह तथ्य वर्तमान दौर में जुमले की तरह लगता है। भारत के महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले रिपोर्ट होते हैं। बीते एक दशक से देश भर में होने वाली किसानों की आत्महत्या में दो तिहाई हिस्सेदारी इन्हीं राज्यों की है। नए तौर तरीकों से किसानों की आत्महत्या के मामले की गिनती के बावजूद 2014 में किसानों की कुल आत्महत्या में 90 फीसदी से ज्यादा मामले इन्हीं पांच बड़े राज्यों में सामने आए। बीते 20 साल में महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या का आंकड़ा 64 हजार तक पहुंच गया है। 2014 में देश भर में किसानों की कुल आत्महत्या में 45 फीसदी से ज्यादा मामले इस राज्य में दर्ज किए गए। अकेले महाराष्ट्र में वर्ष 2015 के दौरान कुल 3,228 किसानों ने खुदकुशी की।

लोकतंत्र में ‘लोक’ कहां है

लोकतंत्र की खूबसूरती जनता की भागीदारी से बढ़ती है, लेकिन राजनीति क्षेत्र में यह तथ्य लगातार कमजोर हो रहा है। यहां राजनीतिक विरासत चंद परिवारों में बंट गई है। इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद उनसे विरोध रखने वालों ने सबसे पहले परिवारवाद का नारा बुलंद किया था क्योंकि उनके पिता जवाहरलाल बड़े नेता थे। जब वंशवाद का सिलसिला चला तो राजीव, संजय और  सोनिया से होते हुए राहुल गांधी तक आ पहुंचा। यह सिर्फ कांग्रेस की ही बात नहीं है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के परिवार के लगभग बीस छोटे बड़े सदस्य केन्द्र या उत्तर प्रदेश की कुर्सियों पर विराजमान हैं। अकाली दल के प्रकाश सिंह बादल के एक दर्जन पारिवारिक लोग कुर्सियों पर काबिज हैं।  हरियाणा में स्वर्गीय देवीलाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे कुर्सियों पर हैं। कश्मीर में अब्दुला और मुफ्ती परिवार लंबे समय से टिका है। हिमाचल में भाजपा के प्रेम कुमार धूमल ने सीएम पद संभाला तो उनके पुत्र अनुराग ठाकुर भी पार्टी में सक्रिय हो गए। हरियाणा के दो भूतपूर्व बड़े नेता चौधरी बंसीलाल व भजनलाल के वंशज राजनीति में सक्रिय हैं। लालू प्रसाद ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को चूल्हे से सीधे मुख्यमंत्री बनाया। उनके दोनों बेटे बिहार कैबिनेट में मंत्री हैं। रामविलास पासवान का परिवार भी बिहार की राजनीति में सक्रिय है। वहीं मध्यप्रदेश के राज घराने वाले सिंधिया परिवार की पीढ़ियां राजनीति की अग्रिम पंक्ति में सक्रिय रही हैं। तमिलनाडु में करूणानिधि परिवार तो कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार भी इसी कतार में है।
20.5 फीसदी दुनिया के गरीब भारत में हैं। वहीं प्रतिव्यक्ति आय के मामले में भारत निचले पायदान पर है।

120 अरब डॉलर के करीब कारोबार हो चुका है भारतीय आईटी क्षेत्र का। 

1990में सिर्फ दो उद्योगपति थे जिनकी सालाना आय 2.1 लाख करोड़ रुपये थी। 2012 में 46 की दौलत 11.8 लाख करोड़ रुपये थी।

2.50 लाख रुपये खर्च होते हैं एक मिनट की संसदीय कार्यवाही में। स्‍थगित होने से लगता है कई करोड़ का झटका।

36 करोड़ से ज्यादा लोग देश में 50 रुपये रोज से कम में जीवन बिता रहे हैं।

3228 किसानों ने पिछले साल अकेले महाराष्ट्र में खुदकुशी की।  तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ भी कम नहीं।

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