Monday 18 January 2016

गुम हुआ बटुआ

अमर उजाला में प्रकाशित लेख
 कहते हैं कि जिसकी जेब में जितना ज्यादा पैसा होता है समाज में उसकी इज्जत भी उतनी ही ज्यादा होती है लेकिन आने वाले वक्त में शायद इज्जत उसकी ज्यादा होगी जो कैशलेस तो है लेकिन बैंकिंग कार्ड और कई खास ऐप से लैश है। चौंकिए मत, तकनीक की इस दुनिया में कई ऐसे ही खास बदलाव अभी आने वाले हैं, इंतजार कीजिए।


बात 2012 की है। जौनपुर के नितेश राय तब लखनऊ में नए नए रहने आए थे। घर में उनकी पहचान 'टेक्नॉलोजी फ्रेंडली' थी लेकिन वह आज भी बैंक में लंबी कतार में लग कर अपने पापा के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करते हैं। वहीं नितेश का रूम पार्टनर अभय घर बैठे ही इलाहाबाद में सिविल की तैयारी कर रहे अपने भाई को पैसे ट्रांसफर कर देता है। अब जब नितेश के पिता उसके कमरे पर आते हैं तो उन्हें यह एहसास होता है कि तकनीक के इस बदलते दौर में अभय उनके बेटे से कहीं आगे है। जी हां, अगर आप अभी भी सिर्फ कैश में ट्रांजैक्शन करते हैं तो साफ है कि आप जमाने के साथ कदम मिला कर नहीं चल रहे हैं। क्योंकि कैश की जगह अब बैंकिंग कार्ड्स ने ले ली है और बैंकों में लंबी कतार की जगह कई खास एप्स ने। आपका बटुआ और मोबाईल अब मॉल भी है, मल्टीप्लेक्स भी और जरुरत पड़े तो ये होटेल से खाना मंगवाने में भी मदद करेगा। दरअसल, देश में बैंकिग का तरीका तेजी से बदल रहा है। इसमें इंडिया और भारत के बीच की दूरियां भी मिट रही हैं। इस दौड़ में बैंक ग्राहक से आगे निकलने की कोशिश में हैं। वह चाहते हैं कि ग्राहक जहां पहुंचने वाला है, वहां वो उससे पहले ही पहुंच जाएं। पहले आई मोबाइल बैंकिंग और आए हर बैंक से जुड़े एप्लिकेशंस। मसलन मनी ट्रांसफर, बिल पैमेंट, डिपॉजिट खोलने जैसी बेसिक सर्विसेस आप फोन पर ही कर सकते थे। फिर आया स्मार्टफोन से ई कॉमर्स।  3000-4000 रुपये के स्मार्टफोन से ई- कॉमर्स साइट्स से शॉपिंग बन गया हॉट ट्रेंड। सिनेमा की टिकट बुक करने से लेकर रेडियो टैक्सी बुलाने तक हर काम स्मार्टफोन पर होने लगा। पेमेंट खास मोबाइल के लिए बने वॉलेट्स से हो इसके लिए आया आईसीआईसीआई बैंक का पॉकेट्स और एचडीएफसी बैंक का पेजैप। ये देश के पहले मोबाइल बैंकिंग वॉलेट थे। इनके इस्तेमाल से आप बैंक से जुड़े काम तो कर ही सकते हैं साथ ही बिल भरने और रिचार्ज जैसे काम भी हो सकते थे। सिनेमा, होटल या फ्लाइट बुकिंग भी की जा सकती थी। कुछ बैंकों ने तो अपने ग्राहकों के लिए एक मार्केट प्लेस भी बनाया है। इस पर आप चाहें तो हर महीने किराना भी मंगवा सकते हैं। यहां यह उल्लेख करना आवश्यक है कि फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी बड़ी ई-कॉमर्स वेबसाइट्स ने भी मोबाइल से होने वाली ट्रांजेक्शन की संख्या बढ़ने की बात स्वीकारी है। दूसरी कंपनी जो मोबाईल कॉमर्स के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है वह है ‘पेटीएम’। यह मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज की सुविधा प्रदाता कंपनी है। पेटीएम के आंकड़ों के अनुसार इसे एक दिन में करीब तीन से चार लाख ऑर्डर्स मिलते हैं जिनमें 25 फीसदी ग्राहक नए होते हैं। इसमें भी कोई शक नहीं कि स्मार्टफोन यूजर्स का बढ़ना मोबाइल ई-कॉमर्स के लिए उज्ज्वल भविष्य का रास्ता बना रहा है लेकिन तेज गति से चलने वाला मोबाइल इंटरनेट, तेज और सस्ती 3जी और 4जी नेटवर्क भी इसके लिए उतना ही महत्त्वपूर्ण है। कुछ हद तक यूजर्स ने ‘ई-वॉलेट सिस्टम’ को अपनाया है लेकिन यह अभी भी देश की मुख्यधारा की पसंद नहीं बन पाया है। किसी भी तरह की खरीदारी को तकनीकी रूप से बेहद तेज और आसान बना देता है। अगर पेटाइम के आंकड़ों की मानें तो वॉलेट में आगे जाने की संभावनाएं बहुत अधिक हैं और लॉन्च के मात्र 10 महीनों के अंदर इसके 15 मिलियन एक्टिव वॉलेट हैं जिनमें 6.5 मिलियम में पैसे हैं या सेव किया हुआ कार्ड है। बात घूम फिरकर वहीं आती है कि मार्केट में कंपटीशन बढ़ रहा है।  बैंकों के ग्राहक के आधार पर पेटीएम जैसी कंपनियां भी हाथ मारने की कोशिश कर रही हैं। इसलिए मौजूदा बैंक ग्राहक से हर स्तर पर जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, चाहे वो ब्रांच हो, वेबसाइट हो या ई-कॉमर्स साइट हो, मोबाइल हो या जल्द लांच होने वाला एपल वॉच। क्योंकि ग्राहक कहीं भी मिल सकता है। और इस बात का एहसास देश के सबसे बड़े और सबसे पुराने बैंकों को भी है। तो फिर जल्दी से आंखें बंद कर लीजिए। किसी ऐसे ट्रांजेक्शन के बारे में सोचिए जो आप अपने बैंक के जरिए करना चाहते हैं। अब आंखें खोल लीजिए। बिल्कुल किसी जिन्न की तरह आपका बैंक आपके सामने हाजिर है। लेकिन, उसे एक्सेस करने के लिए आपको किसी अल्लादीन के चीराग की जरुरत नहीं है, बस चाहिए एक फोन, टैबलेट या फिर लैपटॉप और अगर आपको ये सब स्टार ट्रेक का कोई सीन लग रहा है, तो आदत लगा लीजिए आपका बैंक अब ऐसा ही लगने वाला है।


स्वीडन बना पहला कैशलेस देश
लगातार विश्व में टेक्नोलॉजी का दौर आगे बढ़ता ही जा रहा है, इसके तहत ही आज हम इलेक्ट्रॉनिक्स का अधिक उपयोग करने लग गए है। अब इस सूचना तकनीक के जरिये स्वीडन दुनिया का ऐसे पहला देश बनने में सफल हो गया है जो कैशलेस है। कैशलेस देश होने का आसान सा मतलब ये है कि पैसों का लेन-देन बैंकिंग के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से हो। यानी डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल किया जाए। पेमेंट के लिए बैंकों की एनईएफटी (नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड ट्रांस्फर) और आरटीजीएस (रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट) जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल किया जाए। कैशलेस देश बनने से काले धन को रोकने में काफी हद तक कामयाबी मिलती है। कैशलेस देश में कालेधन के लेन-देन की गुंजाइश बेहद कम हो जाती है। सरकार का टैक्स कलेक्शन बढ़ जाता है क्योंकि बैंक कार्ड से पेमेंट होने से कर चोरी को रोका जा सकता है। कैशलेस इकोनॉमी में सरकारी मशीनरी में फैले भ्रष्टाचार को भी जड़ से मिटाने में मदद मिलती है। वहीं नोटों की प्रिंटिग का सरकारी खर्च कम हो जाता है। सरकार के लिए सब्सिडी और अन्य आर्थिक लाभ लोगों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर करना आसान हो जाता है। बैंक के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के जरिए लेन-देन करने में वक्त भी बचता है। कैश की चोरी और लूट-पाट का डर भी नहीं होता।

और भी हैं कतार में
स्वीडन में कैश लेन-देन बीते जमाने की बात होने वाली है। कैशेलस देश बनने की लाइन में दुनिया के पांच देश और हैं। कैशलेस बनने की दिशा में बढ़ रहे देशों की लिस्ट में नंबर एक पर स्वीडन है जहां 96 फीसदी लोगों के पास बैंक डेबिट कार्ड हैं और सिर्फ तीन फीसदी लेन-देन कैश में होते हैं। दूसरे नंबर पर बेल्जियम है जहां 86 फीसदी नागरिकों के पास बैंक डेबिट कार्ड हैं और केवल सात फीसदी लेन- देन कैश में होता है। तीसरे नंबर पर  फ्रांस का नाम है जहां 69 फीसदी आबादी के पास डेबिट कार्ड है और 8 फीसदी लेन-देन में ही कैश का इस्तेमाल होता है। 10 फीसदी कैश ट्रांजेक्शन्स और 88 फीसदी नागरिकों के पास डेबिट कार्ड वाला कनाडा कैशलेस देश बनने की दिशा में सबसे तेजी से बढ़ रहा दुनिया का चौथा देश है। जबकि ब्रिटेन इस सूची में पांचवे नंबर पर है जहां 88 फीसदी नागरिकों के पास डेबिट कार्ड है और सिर्फ 11 फीसदी लेन -देन कैश में होता है।

आसान नहीं कैशलेस भारत
अगर भारत में कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा देना है तो सरकार को बहुत बड़े कदम उठाने पड़ेंगे जिसमें सबसे अहम बात है सूचना तकनीक को फ्राड से मुक्त करना अहम है। वर्ष 2012 के मुकाबले वर्ष 2014 में वेबसाइट हैकिंग और ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से जुड़े साइबर अपराध में 40% का इज़ाफा हुआ है। 2015 का आंकड़ा अभी नहीं आ सका है। एक सर्वे के मुताबिक पिछले दो वर्षों में बैंक फ्रॉड के मामले 10% बढ़ गए हैं। और बैंक फ्रॉड के सिर्फ 25 फीसदी मामलों में ही रकम वापस मिल पाती है।

50 करोड़ के करीब डेबिट कार्ड भारत में इस्तेमाल हो रहे हैं और 86 फीसदी से ज्यादा लेन-देन कैश में होते हैं।

10 फीसदी से भी कम भारत के शॉपिंग मॉल्स में खरीदारी बैंक कार्ड के जरिए होती है।
60 फीसदी भारतीय उपभोक्ता ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर सामान खरीदते वक्त कैश ऑन डिलीवरी का विकल्प चुनते हैं।
0.8 फीसदी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में इजाफा हो सकता है, इलेक्ट्रानिक ट्रांजेक्शन्स को बढ़ावा देने पर।
03   फीसदी स्वीडन में सिर्फ लेन-देन (ट्रांजेक्शन्स) कैश में होते हैं।


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कुछ खास ऐप

माहवारी और प्रजनन के बारे में बताने वाला ऐप
गर्भधारण से लेकर माहवारी तक से जुड़े लक्षणों को बताने वाला एक ऐप तैयार किया गया है। प्रजनन स्वास्थ्य पर नजर रखने वाला यह ऐप महिलाओं में होने वाली माहवारी, प्रजनन और माहवारी से पहले मूड में होने वाले बदलावों का पूर्वानुमान लगा सकता है। इस कदम को उसी तरह से देखा जा रहा है जैसे 1960 के दशक में गर्भनिरोधक गोली की खोज को देखा गया, जिसने सेक्स और सामाजिक व्यवहार के क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। क्लू नाम के इस ऐप की चीफ एक्जीक्यूटीव और सह-संस्थापक इडा टीन के मुताबिक आज की तारीख में औरतों के लिए यह जानना क्रांतिकारी बात है कि उन्हें माहवारी कब आएगी। हालांकि क्लू कोई गर्भनिरोध में काम आने वाला ऐप नहीं है। इस ऐप का आइडिया इडा के निजी अनुभव से आया है।

नर्स की तरह ख्याल रखेगा ऐप
अगर कोई समय से दवा खाने की याद दिलाने से लेकर डॉक्टर की पर्ची और जांच रिपोर्ट तक आसान भाषा में समझाए और संभाल कर रखने लगे। इसी तरह आपके ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और डायबिटीज आदि का वर्षों का रिकार्ड रखे और वह भी पूरी तरह मुफ्त तो कैसा रहेगा। ये सारे काम अब मोबाइल ऐप "एम-तत्व" करेगा। यानी यह मोबाइल ऐप अब चौबीस घंटे मुफ्त नर्स की तरह से देखभाल करेगा। 

रोमांस करना सिखाएगा ऐप
'हाऊ टू टेक्स्ट ए गर्ल' नाम का यह ऐप लड़कियों को किस तरह से मैसेज किए जाएं इसके तरीके बताता है। महज 0.6 एमबी का यह ऐप उन लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है जो किसी लड़की को अपने दिल की बात कहने से घबराते हैं। इस ऐप में कुछ खास कैटेगरी दी गई हैं। जैसे फ्लर्टिंग मैसेज, मेकिंग प्लान और डिचिंग प्लान। जिस भी तरह का मैसेज आप करना चाहें उस कैटेगरी में क्लिक कीजिए और सामने होंगे कई सारे उदाहरण।

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अभी और चौंकिये

चोरी - चोरी
एप्पल बना रहा सेल्फ ड्राइविंग कार
ब्रिटेन के अखबार 'द गार्डियन' ने हाल ही में यह दावा किया है कि एप्पल सेल्फ ड्राइविंग कार बनाने की एक गुप्त परियोजना पर काम कर रहा है।  यह भी दावा किया गया है कि मई 2015 में एप्पल के गुप्त स्पेशल प्रोजेक्ट के कुछ इंजीनियर 'गो मेन्टम स्टेशन' के अधिकारियों से मुलाकात की थी। फ्रांसिस्को का 2,100 एकड़ में फैला 'गो मेन्टम स्टेशन' पहले आर्मी बेस हुआ करता था जो अब ऑटोनोमस गाड़ियों की जांच के लिए बड़े मैदान में तब्दील हो चुका है।
इस मुलाकात के बात विदेशी मीडिया में एप्पल की सेल्फ ड्राइविंग कार की चर्चा जोर शोर से शुरू हो गई। इसके बाद इस अफवाह को भी बल मिली की एप्पल  'मेन्टम स्टेशन' ग्राउंड में अपनी सेल्फ ड्राइविंग कार की टेस्टिंग कर सकता है। पहले अफवाह यह थी कि एप्पल  'टाइटन' नाम के प्रोजेक्ट के तहत इलेक्ट्रिक सेल्फ ड्राइविंग कार का निर्माण कर रहा है लेकिन यह पहला मौका है जब ऐसे दस्तावेज मिले हैं जो इस ओर इशारा करते हैं कि एप्पल सेल्फ ड्राइविंग कार बना रहा है। इन अफवाहों को बल मिलने की कई वजह हैं, जैसे हाल ही में एप्पल के सीईओ का लगातार दुनिया की बड़ी कार कंपनियों के मालिकों के साथ बैठक करना और अधिकारियों का गाड़ियों के बारे में बयान देना।

स्मार्टफोन के बाद स्मार्ट होम
स्मार्टफोन के इस दौर में एक ऐसे स्मार्ट होम की कल्पना करना कोई अजीब बात नहीं जहां उपकरण एक दूसरे से बातें करेंगे और फ्रिज खुद दूध की देखभाल करेगा। बहुत जल्द यह सपना भी सच होने वाला है। बर्निल में हुए ईफा इलेक्ट्रॉनिक मेले में भविष्य के स्मार्ट घरों की कल्पना पेश की जा चुकी है। ईफा में कोरियाई कंपनी सैमसंग ने 2020 को ध्यान में रखते हुए भविष्य का घर पेश किया। इसमें एक ऐसी तकनीक भी होगी जो किचन में खाना बनाते समय एक के बाद एक आपको बताती जाएगी कि कब क्या किया जाए। यहां तक कि एक ऐसा डिजिटल कोच जो आपके साथ दौड़ लगाएगा। साथ ही आपको बताता जाएगा कि आपने कितनी कसरत की और कितनी करना बाकी है। कुछ ऐप भी ऐप तैयार किए जा रहे हैं। ये ऐप यह पता लगा सकेंगे कि घर पर कोई है या नहीं।


हैरान करेंगे भविष्य के युद्ध
अमरीकी नौसेना के मुताबिक भविष्य में ऐसे हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा जो अदृश्य हों, जिनका पता न लगाया जा सके । साथ ही वह सैटेलाइट, कंप्यूटर, राडार और विमानों सहित सब कुछ बंद कर सकते हों। यह वह हथियार होंगे जिनमें इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है। यह हथियार इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों को जाम या पूरी तरह से तबाह कर सकते हैं।  सुरक्षा उपकरण बनाने में लगी कंपनियां ऐसे हथियार भी विकसित करने में लगी हैं जो पर्याप्त दूरी से वार कर सकें।

दीवार पर चलेगी कार
 अब तक तकनीक की दुनिया में रोबोट कारों ने बढ़िया प्रदर्शन कर अच्छी जगह बनाई हुई है और अब नई तकनीक के दौरान रोबोटिक कारों का दीवार पर चलाना भी संभव हो गया है। डिज्नी और इटीएच ने एक बेहद अलग तरह की खोज कर एक रोबोट का नमूना तैयार किया है जो दीवार पर चल सकता है। खास बात यह है कि यह ईंटों वाले सख्त रास्तों पर भी आसानी से चल सकता है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में इस तकनीक से ऐसी रोबोटिक कारें बनाई जाएगी जिन्हें मिशन के दौरान हर जगह पर भेजा जा सकेगा।

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इशारों से नाचेगी दुनिया
आने वाले समय में विज्ञान किस मोड़ पर जाएगा यह अंदाजा लगाना तो मुश्किल है लेकिन एक बात तय है कि व्यक्ति डिजिटल होता चला जाएगा। बीस - तीस साल बाद की दुनिया आज से बहुत ही अलग होगी। आज हम इंटरनेट को हौव्वा मानते हैं लेकिन भविष्य में यह बच्चा लगेगा। मसलन, वाई - फाई की जगह लाईफाई लेगा। इस लाईफाई के जरिए आप तीन घंटे की फिल्म तीन सेकेंड में डाउनलोड कर सकेंगे। स्मार्ट फोन को हम अल्टीमेट मानते हैं लेकिन यकीन मानिए आने वाले समय में सुपर स्मार्टफोन भी बनेगा। इस तरह की डिवाइसेज और ऐप जरूर आएंगे, जिसके जरिए हमारा काम बिल्कुल सीमित रह जाएगा। भविष्य में हमें बस सांस लेने भर की जरूरत रहेगी। बाकी सारा काम हमारी उंगलियां करेंगी। यानी इशारों पर नाचने वाली कहावत सही होगी और तकनीकी रूप से ताकतवर  इंसान दुनिया को नचाएगा। भविष्य में यह भी संभव है कि टेस्ट ट्यूब में खाना बने। ई- कॉमर्स कंपनियों ने हमारा काम को और आसान किया है। वहीं तमाम तरह के एप्स भी आए हैं जो चौंकाते हैं। ई- वॉलेट या मोबाईल - वॉलेट तो कमाल की चीज है। इसने कैश रखने के चलन को ही बदल कर रख दिया है। मोबाईल वॉलेट का भविष्य खूबसूरत है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि कैशलेस होना इतना आसान है। हमारे यहां सरकार और कॉरपोरेट द्वारा कैशलेस होने का दबाव बनाया जा रहा है । हालांकि मेरे समझ से करीब अगले तीस सालों तक भारत को कैशलेस कर पाना बेहद मुश्किल भी है। यह भी सच है कि बैंकिंग कार्ड्स और ई- वॉलटे पर निर्भर होने के जितने फायदे हैं नुकसान भी कम नहीं है। सच कहूं तो मैं क्रेडिट कार्ड यूज करने से घबराता हूं क्योंकि इसके मिस यूज होने की संभावना बनी रहती है। कैशलेस होने का मतलब यह है कि इससे क्राइम का स्टैंडर्ड भी डिजिटल हो जाएगा। यानी कि चोरी - डकैती तो कम होगी लेकिन साइबर क्राइम बढ़ेगा। तकनीक की इस दुनिया में मानवीय मेले - जोल भी जरूरी है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि तकनीक ने हम सबको एक सीमित संसाधन में समेट कर रख दिया है। मसलन, फेसबुक को ही ले लें । हम कितना भी फेसबुक पर बात कर लें लेकिन फेस टू फेस बात करने का मजा कुछ अलग है।

पल्लव वाघेला
लेखक वरिष्ठ वैज्ञानिक पत्रकार हैं।
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ऐसे समझ लीजिए मोबाइल वॉलेट को

यह आपके स्मार्टफोन में मौजूद एक वर्चुअल वॉलेट जिसमें पैसे डिजिटल मनी के रूप में स्टोर किए जाते हैं। यानी कुलमिलाकर यह डिजिटल पर्स है जिसमें से पैसे का निकालकर आप पैसे का लेन-देन और पेमेंट कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर आप किसी कॉफी शॉप में जाते हैं। यदि यह कॉफी शॉप किसी मोबाइल वॉलेट सर्विस प्रोवाइड से जुड़ी हुई है तो आप कॉफी का पैसा अपने मोबाइल से चुका सकते हैं। आप एप, टेक्स्ट मैसेज, सोशल मीडिया या वेबसाइट से भी पैसा चुका सकते हैं। भारत में फिलहाल चार तरह के मोबाइल वॉलेट एक्टिव है। इनमें ओपन, सेमी-ओपन, सेमी-क्लोज्ड और क्लोज्ड। ओपन आपको किसी सामान या किसी सर्विस के लिए कीमत अदा करने की सुविधा देता है। इसके तहत आप बैंकिंग करने समेत पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। उदाहरण के लिए वोडाफोन का एम-पैसा ऎसा ही मोबाइल वॉलेट है। सेमी-ओपन के तहत आप उस व्यापारी अथवा दुकानदार के साथ ट्रांजेक्शन कर सकते हैं जिसका यह वॉलेट सर्विस प्रोवाइडर के साथ कॉन्ट्रैक्ट है। इसमें आप कैश नहीं निकाल सकते और ना ही पैसे वापस ले सकते हैं। इस वॉलेट में आप पैसा लोड करेंगे, उतना ही खर्च कर सकते हैं। एयरटेल मनी इसका उदाहरण है। वहीं क्लोज्ड काफी लोकप्रिय सर्विस है। इस वॉलेट में ऑर्डर के कैंसल या वापस होने पर व्यापारी अथवा दुकानदार के पास पैसा जब्त रहता है। जबकि सेमी क्लोज्ड वॉलेट के तहत आप ऑनलाइन शॉपिंग कर सकते हैं तथा कोई सर्विस भी ले सकते हैं, हालांकि इसमें आप कैश नहीं निकाल सकते।

मोबाइल वॉलेट के फायदे और नुकसान
आपका मनुअल वॉलेट यानी पर्स खो सकता है, चोरी हो सकता है, यहां तक की आपकी जेब भी काटी जा सकती है, लेकिन आपका मोबाइल वॉलेट न तो चोरी हो सकता है और न ही खो सकता है। आप मनुअल पर्स से पेमेंट करते हैं तो खुले पैसों की दिक्कत आ सकती है जैसे आपका बिल अगर 395.50 पैसा हुआ तो तो आपको खुले पैसों के लिए प्रोब्लम हो सकती है अथवा राउंड फिगर में पेमेंट करना पड़ सकता है। जिबकि मोबाइल वॉलेट में आपको खुले पैसों के भरटकने की जरूरत नहीं तथा पैसे भी उतने ही कटेंगे जितने का बिल हुआ यानी एक पैसा भी कम ज्यादा नहीं हो सकता। सबसे पहले तो यह उन लोगों के काम की चीज है जो टेक्नोफ्रेंडली हैं साथ इसके लिए अच्छी स्पीड वाले इंटरनेट कनेक्शन की भी जरूरत होती है। मोबाइल वॉलेट सर्विस प्रोवाइडर से बहुत कम संख्या में व्यापारी और दुकानदार लिस्टेड हैं। मोबाइल वॉलेट में प्रतिदिन के हिसाब से पैसे डिपॉजिट करने और खर्च करने की सीमा होती है।

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