Monday 29 June 2015

एक नाम सतनाम

एनबीए में चुना जाना क्यों है खास सवाल का जवाब आपको ​इसमें मिल जाएगा
अमर उजाला के 28 जून 2015 के अंक में 

 क्रिकेट के देश भारत में बास्केटबॉल को एक नई पहचान और दिशा दिखाने की ओर पहला कदम उठ चुका है। यह कदम उठाया है सात फुट दो इंच के भारी भरकम शरीर वाले शख्स ने । निश्चित ही यह कदम जिस स्‍थान पर पड़ेंगे वहां भारत की धाक मजबूत होगी।   



अमेरिका की प्रतिष्ठित बास्केटबाल लीग एनबीए का नाम सुनते ही जेहन में आते हैं साढ़े छह फुट लंबे कद के विदेशी खिलाड़ी, बेशुमार पैसा और अमेरिका। इस लीग में भारतीय खिलाड़ियों के लिए पहुंचना सपने जैसा था लेकिन यह सपना सच कर दिखाया पंजाब में लुधियाना के नजदीक के गांव ‘बल्लोकी’ के लंबे चौड़े शख्स ने। इस छोटे से गांव को शुक्रवार को बहुत बड़ी पहचान मिल गई जब यहां के किसान बलबीर सिंह के बेटे सतनाम सिंह भामरा का चयन अमेरिका की प्रीमियर बास्केटबॉल लीग नेशनल बास्केटबाल एसोसिएशन के लिए हो गया। भारत में बास्केटबॉल की माली स्थिति को देखते हुए सतनाम की यह उपल‌ब्धि अहम हो जाती है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि बास्केटबाल में विश्वपटल पर भारत की क्या स्थिति है। अकसर एशियन गेम्स में भी भारतीय टीम क्वालीफाई करने में नाकाम रहती है। ऐसे में सतनाम के जरिए एक पहचान की उम्मीद जगी है।  यह रोचक है कि एनबीए में सतनाम सिंह की दिलचस्पी दस साल पहले हुई, जब उन्होंने कोबे ब्रायंट और लीब्रोन जेम्स को खेलते हुए टेलीविजन पर देखा।  जब एनबीए में सतनाम की दिलचस्पी जगी तब उनका कद (9 साल की उम्र में ही) 5 फुट 9 इंच हो गया था। बावजूद इसके सतनाम ने अपने कद को और आगे बढ़ाने की ठान ली। उनके इस नए कद को बढ़ाने में पिता ने अहम भूमिका निभाई। पिता के सहयोग के ‌पीछे भी एक कहानी है। दरअसल, उनके पिता का कद 7 फुट 4 इंच है। इतना कद होने के बावजूद वह देश के लिए कुछ भी नहीं कर सके। यह टीस उन्हें आज भी सताती है। इस टीस को कम करने के लिए ही उनके दिल में बेटे को इस खेल में भेजने की तमन्ना जगी। एक दिन उनके दोस्त रजिंदर सिंह ने सतनाम के कद को देखते हुए उसे बास्केटबाल खेलने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद सतनाम को लुधियाना के गुरु नानक स्टेडियम में पंजाब बास्केटबॉल एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी तेजा सिंह धालीवाल के पास भेजा गया।  14 साल के सतनाम सिंह को साल 2010 में लुधियाना बास्केटबाल अकादमी (एलबीए) से डैन बारटो जब आईएमजी फ्लोरिडा ले गए तभी यह उम्मीद जग पड़ी थी कि सात फुट दो इंच का युवक एनबीए में प्रवेश कर सकता है। चार साल बाद 2014 में उन्हें फ्लोरिडा से मिलने वाली स्कॉलरशिप समाप्त हो गई। इस दौरान वह अमेरिका के किसी भी कॉलेज के लिए न तो खेल पाए और न ही पढ़ाई कर पाए। चयन के लिए एनबीए ड्राफ्ट में शामिल होने की एक शर्त यह भी रहती है कि चयनित होने की स्थिति में अगली बार ड्राफ्ट में वही खिलाड़ी नाम लिखा सकता है जो वहां कॉलेज स्तर पर खेला हो। सतनाम के पास ऐसा कुछ नहीं था। उन्हें मालूम था कि अगर वह नहीं चुने गए तो भारत वापसी के अलावा उनके पास कुछ नहीं होगा। ऐसे में उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के जरिए लीग के फ्रेंचाईजों का दिल जीतने की कोशिश की। इस कोशिश में वह कामयाब भी हुए और आज सबके चहेते बन गए हैं।




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यह है सतनाम की टीम
सतनाम जिस डलास मैवरिक्स टीम में शामिल हुए हैं, उस टीम ने 1980-81 में पहली बार एनबीए में कदम रखा था। इस टीम ने 1987, 2007, 2010 में तीन डिवीजन खिताब जीते हैं। जबकि उन्होंने दो कॉन्फ्रेंस चैंपियनशिप (2006, 2011) और एक एनबीए चैंपियनशिप (2011) जीती है।

प्रोफाइल
नाम : सतनाम सिंह भामरा
जन्म : 10 दिसंबर, 1995
वजन : 131 किग्रा
कद : 7 फुट 2 इंच

पसंदीदा भोजन
सतनाम बेसन के पकौड़े , मक्के की रोटी, सरसों का साग, बटर चिकन और खोया बर्फी खाने के शौकीन हैं। इनके पसंदीदा अभिनेता बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार हैं । सतनाम जूनियर बच्चन अभिषेक को भी पसंद करते हैं। सतनाम की पसंदीदा फिल्म अक्षय कुमार की सिंह इज किंग है। सतनाम का सपना पिता के लिए कार खरीदने का है। 


सतनाम से लंबे उनके पिता
सतनाम का कद नौ साल की उम्र में ही पांच फुट 9 इंच हो गया था। सतनाम के घर में हर कोई लंबा है। उनके पिता बलबीर सिंह तो उनसे भी दो इंच लंबे हैं। उनकी लंबाई 7 फुट 4 इंच है। उनकी दादी की लंबाई तो 6 फुट 9 इंच और मां की 5 फुट 8 इंच है। आईएमजी एकेडमी द्वारा दिए गए स्कॉलरशिप के बाद वह फ्लोरिडा गए। उस वक्त उन्हें इंग्लिश नहीं आती थी। फ्लोरिडा पहुंचकर ही उन्होंने इंग्लिश सीखी।  सतनाम ने लुधियाना सत्संग रोड स्थित नव भारती पब्लिक स्कूल से आठवीं, नौवीं और दसवीं की पढ़ाई के बाद 2009 में आईएमजी रिलायंस अकादमी यूएसए की ओर से खेलना शुरू किया और दसवीं के बाद की पढ़ाई भी अमेरिका से ही की।

20 नंबर के जूते पहनते हैं
सतनाम के पैर भी काफी लंबे हैं। उनके जूतों का नंबर 20 हैं। जबकि खिलाड़ियों के जूतों का औसत साइज नौ होता है। उन्हें अपने लिए स्पेशल जूते तैयार करवाने पड़ते हैं। यही नहीं, वह आठ फीट लंबे बेड पर सोते हैं। उनके लिए चादर भी स्पेशल तैयार किए जाते हैं।
सतनाम की उपलब्धियां
सतनाम सिंह 2009 और 2011 में चीन में आयोजित सीनियर एशियन बास्केटबाल चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुके हैं। 2013 में फिलीपींस में एफआईबीए चैंपियनशिप कप, 2009 में मलेशिया और 2011 में वियतनाम में हुई जूनियर एशियन बास्केटबॉल चैंपियनशिप में सतनाम ने हिस्सा लिया था। 2012-13 में लुधियाना में हुई सीनियर नेशनल बास्केटबाल चैंपियनशिप में सतनाम को दूसरा स्थान मिला। 2013 में कोटक में हुई जूनियर नेशनल बास्केटबाल चैंपियनशिप में दूसरा और 2004 में चित्तौर में हुई जूनियर नेशनल बास्केटबाल चैंपियनशिप में उसे पहला स्थान मिला था।

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एनबीए बनाम आईपीएल

अमेरिका की प्रतिष्ठित बॉस्केटबाल लीग एनबीए दुनिया की तीसरी सबसे महंगी स्पोर्ट्स लीग है। कई देशों के बास्केटबॉल खिलाड़ी इस लीग में खेलते हैं। अमेरिका की नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन ने 69 साल पहले 1946 में इसे शुरू किया था।  एनबीए और भारत की सबसे महंगी क्रिकेट लीग आईपीएल की अगर तुलना की जाए तो दोनों के बीच आकाश - पाताल का अंतर है। जहां आईपीएल टूर्नामेंट की सालाना कमाई 1000 करोड़  है तो एनबीए की कमाई 29000 करोड़ रुपये है। आईपीएल इतिहास के सबसे महंगे खिलाड़ी युवराज सिंह हैं । युवराज को दिल्ली डेयरडेविल्स ने 16 करोड़ में खरीदा है। वहीं एनबीए की बात करें तो  कोबे ब्राएंट को लेकर्स टीम ने 148 करोड़ रुपये में खरीदा है। आईपीएल की सबसे महंगी टीम मुंबई इंडियंस है। मुकेश अंबानी की मुंबई इंडियंस 1,271 करोड़ की है। वहीं एनबीए लीग की सबसे अमीर टीम एलए लेकर्स है । लेकर्स टीम 16,546 करोड़ की है। हालांकि ईनाम राशि की बात करें तो दोनों लीग में कोई खास अंतर नहीं है। आईपीएल में ईनामी राशि 15 करोड़ है तो एनबीए में यह राशि 15.61 करोड़ है।  अगर दुनिया में सबसे अमीर टीम की बात करें तो फ्रेंच चैंपियन फुटबाल टीम पेरिस सेंट जर्मेन (पीएसजी) अपने खिलाड़ियों को विश्व में अन्य खेलों की तुलना में कहीं अधिक वेतन का भुगतान करती है। पीएसजी अपने प्रथम श्रेणी के खिलाड़ियों को औसतन 50 लाख पाउंड से ज्यादा का सालाना भुगतान कर रही है। इसके मुकाबले यदि आईपीएल के इतिहास के सबसे मंहगे खिलाड़ी युवराज सिंह के 16 करोड़ रुपये के अनुबंध को देखा जाए तो पाउंड में यह राशि 16 लाख पाउंड से कुछ ज्यादा बैठती है। वहीं अमेरिकन बास्केटबाल चैंपियनशिप एनबीए वरीयता सूची में सर्वाधिक भुगतान करने वाली लीग है।

क्यों है यह उपलब्धि खास

अमेरिका की सबसे प्रतिष्ठित बास्केटबॉल लीग एनबीए में सतनाम का चयन होना भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। दरअसल, यह उपलब्धि इसलिए बड़ी है क्योंकि बास्केटबॉल में भारत की रैंकिंग  टॉप - 100 देशों में भी नहीं है। स्थिति यह है कि अंतरराष्ट्रीय पहचान के लिए भारतीय बास्केटबॉल संघ वैश्विक बास्केटबॉल संघ के सामने जद्दोजहद कर रहा है। सबसे अमीर बास्केटबॉल लीग में भारत की पहचान होना कहीं न कहीं यह संकेत देते हैं कि इस खेल में अच्छे दिन आ गए।  सतनाम की उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि 2005 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी खिलाड़ी को बिना कॉलेज, ओवरसीज, प्रफेशनल या फिर एनबीए डेवेलपमेंट लीग में खेले बगैर ही ड्रॉफ्ट में जगह मिल गई।

एनबीए का इतिहास 

1946 में बास्केटबॉल एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (बीएए) का गठन किया गया। पहला मैच कनाडा में एक नवंबर 1946 को टोरंटो हसकीस और न्यूयॉर्क निकरबोकर्स के बीच खेला गया। तीन सीजनों के बाद, 1949 में, बीएए का नेशनल बास्केटबॉल लीग के साथ विलय हो गया और नेशनल बास्केटबॉल एसोसिएशन (एनबीए) का गठन हुआ। एक नवोदित संगठन, अमेरिकन बास्केटबॉल एसोसिएशन 1967 में उभरा और 1976 में एबीए -एनबीए का विलय होने तक, कुछ समय के लिए एनबीए के प्रभुत्व को चुनौती दी। बावजूद इसके आज एनबीए विश्व में लोकप्रियता, वेतन, प्रतिभा और प्रतिस्पर्धा के स्तर के मामले में शीर्ष पेशेवर बास्केटबॉल लीग है। एनबीए से कई प्रसिद्ध खिलाड़ी संबंधित रहे हैं, जिसमें प्रथम प्रभावकारी बिग मैन जॉर्ज मिकन, गेंद संभालने के जादूगर के नाम से मशहूर बॉब कौसी और बॉस्टन सेल्टिक्स टीम की डिफेंसिव प्रतिभा बिल रसेल शामिल हैं।  वर्तमान लीग में कुल तीस टीमें हैं।


हड़ताली लीग एनबीए
यह दिलचस्प है कि दुनिया सबसे अमीर लीग स्पोर्ट़स में शामिल होने के बवाजूद एनबीए के खिलाड़ी अपनी कमाई से संतुष्ट नहीं रहते हैं।  एनबीए लीग को स्ट्राइकर लीग यानी हड़ताली लीग के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, इस लीग के खिलाड़ी किसी न किसी वजह से समय - समय पर हड़ताल पर जाते रहते हैं। एनबीए में  1998-99 के सीजन में वेतन भुगतान की वजह से सिर्फ 50 मैच हो पाए थे। 2013 में एनबीए की कमाई का हिस्सा कम मिलने से खिलाड़ी हड़ताल पर चले गए थे। यहां यह बता दें कि बास्केटबॉल अमेरिका का खूब कमाऊ खेल है। वहां होने वाले लीग मुकाबलों के जरिए खिलाड़ी और टीम मालिक अरबों रुपये कमाते हैं। इस कमाई में सबका हिस्सा होता है।

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