Monday 13 April 2015

बदरुद्दीन से वाकर बनने की कहानी

फ्लैश बैक

- साहनी ने वाकर को दी संजीवनी

हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग के अव्वल नंबर के हास्य कलाकार जानी वाकर का फिल्मों में आना किसी फिल्मी कहानी से कम दिलचस्प नहीं था। अपने पिता की नौकरी छूटने के बाद 15 सदस्यों के बडे़ परिवार का भरण - पोषण करने के लिए सब्जी बेचने से लेकर बस में कंडक्टरी करने तक का काम करने को मजबूर जानी वाकर का मूल नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी था। मुंबई में बस में कंडक्टरी करते समय वाकर मुसाफिरों का तरह - तरह से मनोरंजन किया करते थे। इसी दौरान निर्देशक गुरुदत्त की फिल्म ‘बाजी’ के लिए कहानी लिख रहे बलराज साहनी की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने वाकर को इस फिल्म में काम दिलाने का मन बना लिया। बलराज साहनी ने जानी वाकर के लिए ‘बाजी’ में शराबी का एक छोटा सा महत्वपूर्ण पात्र भी डाल दिया लेकिन समस्या यह थी कि उन्हें फिल्म में लेने के लिए निर्माता और निर्देशक को किस तरह मनाया जाए। इसके लिए उन्होंने एक तरकीब सोची । साहनी ने वाकर से कहा कि तुम नवकेतन (जहां चेतन आनंद , गुरुदत्त और साहनी काम करते थे ) के दफ्तर में बिना रोक टोक के घुस जाना। वाकर ने भी ऐसा ही किया और चपरासी के रोकने के बावजूद दफ्तर के अंदर चले आए । उन्होंने लोगों को खूब तंग किया और गुरुदत्त के दोस्त देव आनंद (जो वहीं मौजूद थे ) को संबोधित करके अंट - शंट बोलने लगे। लेकिन उनके पियक्कड़ अंदाज और हरकत से नवकेतन के कर्मचारियों को खूब हंसी आई। चेतन को दफ्तर की मर्यादा का खयाल आया। उन्होंने बेतहाशा हंस रहे कर्मचारियों को डांटा और उस शराबी को जबरदस्ती बाहर निकालने का हुक्म दिया । उसी समय बलराज साहनी ने बदरू ( जानी वाकर ) से गुरुदत्त और चेतन को सलाम करने के लिए कहा। वाकर उसी समय अटेंशन हो गया और किसी मदारी की तरह सबको सलाम करने लगे। कुछ क्षण पहले जो व्यक्ति मदहोश था, अब पूरी तरह होश में था। चेतन और गुरुदत्त  प्रश्नवाचक दृष्टि से बलराज साहनी की ओर देख रहे थे। तब साहनी ने बताया कि यह सारा प्रपंच क्यों रचा गया है। इसके बाद गुरुदत्त ने बड़ी खुशी से वह रोल बदरुद्दीन को देना कबूल कर लिया। ‘बाजी’ फिल्म के साथ ही जानी वाकर और गुरुदत्त की अटूट मैत्री का सिलसिला शुरू हो गया, जो गुरुदत्त की मौत होने तक कायम रहा। दिलचस्प बात यह है कि बदरुद्दीन को वाकर का नाम गुरुदत्त ने ही व्हिस्की के एक प्रसिद्ध ब्रांड ‘जानी वाकर’ के नाम पर दिया था। वाकर के बारे में एक और अहम बात यह है कि उन्होंने कभी शराब को हाथ नहीं लगाया।

सेल्फी ....सरुर भी फितूर भी


 सेल्फी का जादू इन दिनों हर आम और खास के सिर चढ़कर बोल रहा है। जब नरेंद्र मोदी से लेकर बराक ओबामा तक इससे बच नहीं पाते तो आम लोगों की कौन पूछे, 2012 तक गुमनाम रहने वाले इस अदने से शब्द ने ऐसा असर छोड़ा है कि कोई भी इससे अछूता नहीं है। क्या हर सेल्फी के पीछे कोई गोपनीय संदेश छिपा होता है या फिर यह सिर्फ दिखावे और प्रशंसा सुनने की सनक है? आत्मविश्वास जगाने से लेकर नई पहचान बनाने के इस ट्रेंड पर कहीं संवेदनहीनता तो हावी नहीं ? 



दिसंबर 2013 में अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के अंतिम संस्कार के मौके पर सेल्फी को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की खूब आलोचना हुई, लेकिन सेल्फी जबर्दस्त हिट हो गई। इस सेल्फी ने आम और खास लोगों की दीवानगी को लेकर गंभीर सवाल सामने रख दिया। कई लोगों ने उस वक्त पहली बार सेल्फी शब्द सुना था। लेकिन एक साल के भीतर ही सेल्फी लेना और पोस्ट करना सोशल मीडिया के हर यूजर्स के लिए आम बन गया। लेकिन, अब सेल्फी से जुड़े गंभीर सवाल उठने लगे हैं। सवाल है कि क्या सेल्फी का क्रेज एक गंभीर कार्यक्रम को तमाशे में तब्दील कर सकता है? क्या सेल्फी की दीवानगी लोगों को संवेदनहीन बना रही है? और आखिरकार सेल्फी को लेकर दीवानगी लोगों के सिर चढ़कर क्यों बोल रही है?  कुछ जानकारों का मानना है कि दरअसल सेल्फी लेना दिखावे और प्रशंसा सुनने की प्रवृति है । स्मार्ट मोबाइल कैमरों ने तो इस प्रवृत्ति को बाकायदा सनक में बदल डाला है। प्रशंसा सुनने के लिए सेल्फी के कई प्रयोग भी किए जा रहे हैं। मसलन,  हॉलीवुड की अभिनेत्री किम कर्दाशियां ने चेहरे को खून जैसे रंग में रंगकर अपनी सेल्फी खींची थी और उसे वैंपायर फेसियल शीषर्क के साथ सोशल मीडिया में प्रसारित किया था। वहीं एक अमेरिकी मॉडल ने खुले वक्षस्थल के साथ अपनी सेल्फी इंस्टाग्राम पर प्रसारित की थी, जिसे चंद मिनटों में 60 हजार लोगों के लाइक्स मिल गए थे। पिछले साल दिखावे की सनक की पराकाष्ठा का एक अन्य उदाहरण सामने आया था जब एक मां अपने बच्चे के जन्म (प्रसव) को ही लाइव दिखाने के लिए तैयार हो गई थी। पिछले साल ही स्पेन में राजधानी मैड्रिड और फेरो के बीच एक हाई स्पीड ट्रेन की दुर्घटना दिखावे की ऐसी ही सनक का नतीजा थी। उस ट्रेन का ड्राइवर स्पीडोमीटर की सुई को 200 के अंक तक पहुंचाकर उसकी सेल्फी फेसबुक पर लगाना चाहता था। ऐसा करने के प्रयास में अधिक गति की वजह से एक मोड़ पर  ट्रेन ट्रैक से फिसल गई और उस भीषण दुर्घटना में 80 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि डेढ़ सौ के करीब घायल हुए। इससे स्पष्ट है कि सेल्फी जैसे तरीकों से दिखावा करना मनोवैज्ञानिक समस्या है। हालांकि इसका एक पहलू यह भी है कि सेल्फी ने सोशल मीडिया पर बात कहने का ढंग बदला है। मसलन लोग बीमार हैं या अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं तो वे ‘सिक सेल्फी’ पोस्ट कर रहे हैं। एक तरह से यह संदेश दफ्तर के लोगों के लिए होता है कि वे बीमार हैं और झूठ नहीं बोल रहे हैं। वहीं कुछ लोग इमोशनल सेल्फी के जरिए अपनी रूठी हुई गर्लफ्रेंड या दोस्तों की सहानुभूति भी लेना चाहते हैं। सेल्फी के जरिए खास मैसेज देने की इच्छा सिर्फ  आम लोगों को नहीं होती। बड़ी हस्तियां भी अलग-अलग मौकों पर सेल्फी के जरिए खास संदेश देती हैं। मसलन हाल ही में कई सेलिब्रेटियों को स्वच्छ भारत अभियान के तहत सेल्फी लेते हुए देखा गया। इसके पीछे की सोच यह है कि आप सड़क पर झाड़ू लगाते हैं तो मीडिया को नहीं बुला सकते। लेकिन, सेल्फी के जरिए आसानी से दुनिया को बता देते हैं कि आपने झाड़ू लगाई। यानी सेल्फी सहजता से बात कहने का जरिया भी है। सेल्फी लेने वाला व्यक्ति अमूमन इस फिराक में रहता है कि वो कुछ अनूठा फोटो खींचे और सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। लोग यह भी चाहते हैं कि उनकी तस्वीरों को बाकी लोग पसंद करें और उस पर कमेंट्स भी करें। वर्तमान सेल्फी ट्रेंड को देखते हुए तस्वीर साफ है कि सेल्फी का क्रेज लोगों से न केवल अजीबोगरीब हरकतें करा सकता है बल्कि सेल्फी का चस्का उनके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है। 


सेल्फी शब्द पहली बार
सेल्फी शब्द का इस्तेमाल पहली बार 2002 में एक ऑस्ट्रेलियाई शख्स ने किया था। उसने शराब पीकर खुद खींची अपनी फोटो साइट पर सेल्फी के नाम से पोस्ट की। रिसर्च के मुताबिक, फोटो शेयरिंग वेबसाइट फ्लिकर पर इस शब्द का इस्तेमाल 2004 से हो रहा था, लेकिन 2012 से पहले यह इतना पॉपुलर नहीं हुआ और न ही ज्यादा लोगों को इसकी जानकारी थी। लेकिन एक साल में सेल्फी इतना पॉपुलर हो गया कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इसे वर्ड ऑफ  द ईयर मान लिया। जानकारों की मानें तो स्मार्टफोन की दरों में गिरावट भी सेल्फी के क्रेज की वजह रही। स्मार्टफोन में फ्रेँट कैमरे होने की वजह से लोगों में इसका उत्साह दिखा।  स्मार्टफोन में फ्रंट कैमरे की तकनीक सबसे पहले सैमसंग कंपनी ने जारी किया। एक अनुमान के मुताबिक हर तीसरे व्यक्ति के स्मार्टफोन खरीदने के पीछे की वजह सेल्फी और व्हाट्सऐप है। 


सवालों पर सेल्फी हावी 
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मीडिया से दिवाली मिलन समारोह सेल्फी की वजह से चर्चा में रहा। इस समारोह में बड़े पत्रकारों से लेकर, बीजेपी बीट कवर करने वाले नए पत्रकार तक मौजूद थे। आम तौर पर जो होता है उसके विपरीत मोदी ने छोटा सा भाषण दिया। पत्रकारों ने देश के प्रधान से कोई सवाल पूछना उचित नहीं समझा लेकिन जब मोदी पत्रकारों से मिलने मंच से नीचे आए तो पत्रकारों में उनके साथ सेल्फी की होड़ लग गई। इनमें वह भी शामिल थे जो घंटों टीवी पर दिखते हैं, जो लेख लिखते हैं और वह भी जो एक अदद बाइट के लिए दर - दर भटकते हैं।

अमर उजाला में प्रकाशित 12 अप्रैल 2015 के अंक में



जानलेवा है सेल्फी
 सेल्फी के चक्कर में लोगों को हद न पार करने की चेतावनी भी मिलने लगी है। पिछले साल पहाड़ के कोने पर सेल्फी लेने की कोशिश में पुर्तगाल के एक कपल की गिरकर मौत हो गई तो मैक्सिको में एक शख्स ने भरी पिस्तौल के संग सेल्फी लेने की कोशिश की और गोली चल गई, जिससे उसकी मौत हो गई। छत्तीसगढ़ के अटारी में एक लड़की सेल्फी खींचने के चक्कर में नदी में जा गिरी। वहीं उत्तर प्रदेश में सेल्फी लेने के चक्कर में नदी में डूबकर सात लड़कों की मौत हो गई।

विवाद की सेल्फी
न्यूयॉर्क इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर करीब तीन साल पहले एक बंदर (ब्लैक मंककै जो इंडोनेशिया में पाए जाने वाली बंदरों की एक प्रजाति है) द्वारा ली गई एक सेल्फी पर विकीपीडिया और जिस कैमरे से सेल्फी ली गई थी उसका मालिक फोटोग्राफर दोनों ने अपना - अपना मालिकाना हक जताया। फोटोग्राफर डेविड स्लेटर का दावा था कि यह तस्वीर उनके कैमरे से ली गई है और विकीपीडिया इसे अपने पेज से हटा दे। जबकि विकीपीडिया ने इस सेल्फी को यह कहते हुए हटाने से इनकार कर दिया है कि क्योंकि यह तस्वीर बंदर ने ली थी। विकीपीडिया के मुताबिक इस तस्वीर की कॉपीराइट उस बंदर के पास है न कि उस फोटोग्राफर के पास । यह मामला अभी कोर्ट में है।

ऐसे मिलती है खतरनाक जानवरों की सेल्फी
बहुत से फोटोग्राफर ऐसे हैं, जो खतरनाक से खतरनाक जानवरों संग सेल्फी ले ही लेते हैं। उनकी सेल्फी लेने के लिए जंगल में कैमरा कभी जमीन पर, तो कभी एक आदमी की ऊंचाई तक पर लगा दिया जाता है। जब कोई जानवर वहां से गुजरता है, तो उसे वह अजीब और नई चीज लगती है। ऐसे में वह लेंस के ठीक सामने आकर उसमें अपने पंजे मारकर उसे समझने की कोशिश करता है। बस उसी समय दूर बैठा फोटोग्राफर कैमरे का रिमोट बटन दबा देता है और आ जाता है सेल्फी शॉट। कई बार वहीं पर कैमरे का बटन होता है, जो जानवर तुक्के में दबा जाता है और मिल जाती है सेल्फी। इसके लिए कुछ रोबोटिक कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है। इनके कैमरों को ‘कैम ट्रैप’ यानी कैमरे का जाल कह सकते हैं।

सेल्फी लेते ही पकड़ी गई चोरनी
यह घटना अमेरिका के डेनवर की है। हुआ यूं कि आईफोन चुराने वाली 17 साल की नाबालिग लड़की खुद को सेल्फी लेने से नहीं रोक पाई और उसकी सेल्फी ने ही उसे पकड़वा दिया। दरअसल, चोरी के आईफोन से ली गईं तस्वीरें स्वत: ही फोन की असली मालकिन के फेसबुक पर अपलोड होने लगीं। फोन की असली मालकिन के फेसबुक पेज पर अपलोड हुई नाबालिग चोर की ये तस्वीरें पुलिस के लिए उसका पता लगाने के लिए पर्याप्त साबित हुईं। असली मालिकन ने बताया कि अपने फोन में एक सेटिंग कर रखा था जिससे फोन से ली गई सारी तस्वीरें फेसबुक के एक निजी फोल्डर में स्वत: ही सुरक्षित हो जाती हैं। 

सेल्फी पर सेलिब्रेटी का मजाक
हाल ही में इंग्लैंड के जाने माने पूर्व बल्लेबाज  केविन पीटरसन ने अपनी गिरफ्तारी की एक सेल्फी ट्विटर पर शेयर की। उनके मूड को देखकर यही लग रहा था कि वे अपने प्रशंसकों के साथ मजाक कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने यह तस्वीर लोगों को अप्रैल फूल बनाने के लिए शेयर की थी।  

यह भी है खास
- सेल्फी शब्द का पहली बार इस्तेमाल आस्ट्रेलियाई वेबसाइट फोरम एबीसी ऑनलाइन ने 13 सितंबर 2002 में किया था।
- दुनिया की पहली सेल्फी सन 1850 के दशक की है। यह आज की तरह चमकती सेल्फी नहीं, बल्कि एक सेल्फ  पोट्रेट ( खुद की तस्वीर) है। यह सेल्फी स्वीडिश आर्ट फोटोग्राफर ऑस्कर गुस्तेव रेजलेंडर की है। इस सेल्फ  पोट्रेट को उत्तरी यॉर्कशायर की एक संस्था ने 70,000 पाउंड (करीब 69.5 लाख रुपये) में नीलाम किया। संस्था की ओर से दावा किया गया कि इस तस्वीर के मालिक ने हमें 100 पाउंड की कीमत में एक किताब बेची थी। हमें उसी किताब में ये सेल्फी मिली। इस किताब में उनकी पत्नी हेलम टेनीसन की तस्वीर भी है। वैसे दावा यह भी है कि पहली सेल्फी 1839 में खींची गई थी। इसे खींचने वाले थे अमेरिकी फोटोग्राफर रॉबर्ट कोरनेलियस, जिन्होंने अपने कैमरे से अपनी फोटो खींचने की कोशिश की थी।
- इंग्लैंड के एक फोटोग्राफर ने दुबई के बुर्ज खलीफा इमारत के सबसे ऊपरी तल से अपनी सेल्फी खींच दुनिया में सबसे ऊंचाई वाले तल से सेल्फी खींचने का रिकॉर्ड बनाया है। टेलीग्राफ  के मुताबिक, 47 साल के गेराल्ड डोनोवान ने 2723 फीट की ऊंचाई से सेल्फी ली।
- सेल्फी की तर्ज पर धीरे-धीरे वेल्फी (वीडियो सेल्फी ) , ग्रुपफी ( समूह की तस्वीर )  और पेल्फी ( पेट यानी पालतू जानवरों की तस्वीर) भी लोकप्रिय हो रही है। 
- दिल्ली चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी ने युवा वोटरों को जोड़ने के लिए वेल्फी और ‘सेल्फी विद मफलरमैन’ का कैंपेन चलाया। पार्टी ने वेल्फी के जरिए पूछा था कि वे क्यों केजरीवाल को चाहते हैं? वहीं ‘सेल्फी विद मफलरमैन’ कैंपेन के जरिए 500 रुपये में अरविंद केजरीवाल के साथ सेल्फी लेने की छूट थी।
- 86वें ऑस्कर अवॉर्ड्स के दौरान एलेन डिजेनरेस द्वारा ली गई सेल्फी अब तक की सबसे पॉपुलर सेल्फी मानी जा रही है। इसे इतनी बार रीट्विट किया गया कि ट्विटर क्रैश कर गया।
-  2013  में युवाओं के साथ पोप की तस्वीर के बाद सेल्फी शब्द पर काफी चर्चा हुई थी। 
- सेल्फी मॉल सुनकर हैरानी होगी, लेकिन गुड़गांव में एक मॉल है, जिसका नाम है सेल्फी स्क्वैयर। 
- सेल्फी स्टिक की मदद से आप परफेक्ट सेल्फी खींच सकते हैं। और इसमें बढ़िया सेल्फी पाने के लिए फोटो को क्रॉप करने की भी जरूरत नहीं।
- एक्सोफैब नामक फोन की मदद से आप जितनी चाहें, सेल्फी लें। आपका हाथ बीच में आकर उन्हें खराब नहीं करेगा, क्योंकि यह फोन दीवार के सहारे भी चिपक सकता है।
-  सेल्फी नाम से ऐप भी हैं, आपके सेल्फी के मजा को दोगुना करना के लिए।
- द सेल्फी हेल्प बुक के जरिए आप बढ़िया सेल्फी लेना सीख सकते हैं। इस बुक में हॉलीवुड एक्ट्रेस किम कार्दिशयां की तमाम सेल्फी मिल जाएंगी।
- अमेरिका में सेल्फी नाम का एक कॉमेडी सीरियल तीन  सितंबर 2014 से शुरू हुआ है तो इंटरनेट पर सेल्फी नामक सॉन्ग भी खासा पॉपुलर है। बॉलीवुड में भी सेल्फी पर कई सॉन्ग गाए जा चुके हैं।
- साल 2012 में टाइम पत्रिका ने सेल्फी को ‘दस शीर्ष चर्चित शब्दों’ में शामिल किया। 
- 2014 में ब्रिटेन के सिटी लिट कॉलेज ने सेल्फी में कोर्स कराने की घोषणा की। कॉलेज ने अपने इस कोर्स को ‘द आर्ट ऑफ फोटोग्राफी सेल्फ पोट्रेट’ नाम दिया है। इसका अनुसरण करते हुए कई अन्य संस्थानों ने भी यह कोर्स लागू किया। भारत में अभी ऐसा कोई कोर्स नहीं है। 
- गूगल के के अनुसार 9.3 करोड़ सेल्फी हर रोज विभिन्न सोशल साइट्स पर अपलोड किए जाते हैं। वहीं सैमसंग ने 2013 में बताया था कि सेल्फी 18 से 24 साल की उम्र के लोगों द्वारा ली गई 60 प्रतिशत तस्वीरों से बने होते हैं।
- सेल्फी के बाद अब नया ट्रेंड आया है पाउट का। दरअसल, पाउट का हिंदी शाब्दिक अर्थ होता है , मुंह फुलाने की मुद्रा या बाहर निकले हुए होंठ यानी होंठ बाहर की ओर निकाल कर सेल्फी लेना या फिर पोज देना।  जानकारों के मुताबिक यह ट्रेंन सबसे पहले हॉलीवुड की चर्चित अभिनेत्री किम किदर्शियां ने शुरू किया। बॉलीवुड की सेलिब्रेटियों ने इस ट्रेंड को खास पहचान दी है।  
- कई कंपनियां अपने प्रॉडक्ट को बेचने के लिए भी सेल्फी का सहारा ले रही हैं। एक ब्यूटी प्रॉडक्ट कंपनी का स्लोगन है, आर यू सेल्फी रेडी, अगर नहीं तो हमारी क्रीम यूज करें। तो दूसरा प्रोडक्ट सेल्फी के जरिए लोगों को गिफ्ट के साथ-साथ टीवी पर आने का मौका दे रहा है।
- चुनाव के दौरान न्यूज चैनल्स की अपील होती है कि वोटर वोट देने के बाद एक सेल्फी भेजें। 

ये भी हो रहे हैं फेसम
ग्रुपफी - ग्रुप में ली गई सेल्फी
फैमफी - फैमली संग ली गई सेल्फी
डॉगफी -डॉगी संग ली गई सेल्फी
बुकशेल्फ - किताबों संग ली गई सेल्फी
हेल्फी - चेहरे से ज्यादा बाद दिखे
फोमफी - फेस पर फोम लगाकर खींची गई सेल्फी

आंकड़े क्या कहते हैं
- भारत में सार्वजनिक स्थल पर सबसे ज्यादा दिल्ली में मेट्रो में सफर करने वाले यात्री, मेट्रो सेल्फी लेते हैं। 
- डकफेस ( झुका हुआ चेहरा ) सेल्फी सबसे कॉमन सेल्फी है, लेकिन सेल्फी के आने से पहले पॉपुलर चीज नहीं थी डकफेस
- टाइम मैग्जीन के मुताबिक, मकाती (फिलिपींस) सेल्फी क्लिक करने के लिए सबसे खूबसूरत शहर है। दिल्ली 131वें नंबर पर है, जबकि मुंबई 416वें नंबर पर।
- सेल्फी का सबसे ज्यादा क्रेज ऑस्ट्रेलिया में है। इसके बाद नंबर आता है अमेरिका और फिर कनाडा का।
- 17, 000 डॉलर (करीब 10 लाख रुपये) रुपये प्रति महीना अनुमानित कीमत होगी, सर्वर पर डाउनलोड की जानेवाली सभी सेल्फीज़ की
- 52 फीसदी महिलाएं और 50 फीसदी पुरुष लेते हैं सेल्फी
- 36 फीसदी मानते हैं कि वह सेल्फी में छेड़छाड़ करते हैं
- 50 फीसदी ज्यादा सिर झुका होता है सेल्फी में महिलाओं का, पुरुषों के मुकाबले

सेल्फी यहां होती हैं सबसे ज्यादा शेयर
फेसबुक - 48 फीसदी
वॉट्सऐप - 27 फीसदी
ट्विटर - 27 फीसदी
इंस्टाग्राम - 8 फीसदी
अन्य - 7 फीसदी

सेल्फी के लिए टिप्स
- सेल्फी लेने के पहले गुड लुक के साथ कॉन्फिडेंट फीलिंग होना अच्छा होता है।
-  एक अच्छे शूट के लिए लाइट अहम होता है, नेचुरल लाइट ज्यादा प्रभावी होती है।
- अपने स्मार्टफोन में अच्छे एप्स डाउनलोड कर सकते हैं। जिनके जरिए फोटो की एडिटिंग व कूल इफेक्ट्स डाले जा सकें।
- अच्छी सेल्फी लेने के लिए सही एंगल रखना काफी जरूरी होता है। ऐसा डिफरेंट एंगल चुनें, जिसका अधिकतम फायदा मिल सके।