Saturday 21 December 2013

दिल्ली में ‘आप’ का आना

दिल्ली में आप का आना

           
  
   अभी ज्यादा दिन नहीं बीते, जब अनिल कपूर के नायक फिल्म के पोस्टर का केजरीवाल संस्करण दिल्ली के दीवरों को रंगीन कर रहा था। जिन्होंने यह फिल्म देखी है वह इस बात से भलीभांति वाकिफ होंगे कि अगर इमानदार हाथों में सत्ता की चाबी आ जाए तो आल इज वेल होता है। लेकिन यह भी सच है कि वह सिर्फ एक फिल्म था, जिसमें अनिल कपूर एक रात में राज्य को बदलने की काबलियत रखता है। लेकिन दर्शक भी बेवकूफ नहीं हैं वह भी इस बात से वाकिफ है कि 24 घंटे में नायक की तरह न कुछ बदल सकता है और न ही कोई क्रांति आ सकती है। लेकिन जब दर्शक इस फिल्म को देखेंगे या देखे होंगे तो उनके मन में एक बात जरूर हिंट करेगी कि जी नहीं, अगर व्यक्ति ईमानदार और जुझारू है तो उससे उम्मीद की जा सकती है।
  बात दिल्ली के संदर्भ में हो रही है तो यह बताना जरूरी है कि अरविंद केजरीवाल ने इस चुनाव में एक ऐसा कमाल किया है जिसके जरिए वह आगे की सियासत को भी बहुत ही बारिकी से हैंडल कर सकते हैं। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि केजरीवाल के जरिए एक अच्छी राजनीति की शुरुआत हो चुकी है। तभी तो कल तक तिकड़म की राजनीति करने वाली दोनों प्रमुख राजनीतिक दल यानी भाजपा और कांग्रेस सुसुप्त पड़ गए हैं। यह बात अलग है ​कि कांग्रेस की सुसुप्त होने की वजह उनका हा​शिए पर चला जाना है वहीं भाजपा के सामने 2014 का आम चुनाव का होना है। वर्ना यह बात तो तय ही था कि इतनी आसानी से दिल्ली की सत्ता को ये दोनों ही दल नहीं जाने देते।
     
वहीं दुसरी तरफ अरविंद केजरीवाल ने जिस तरीके से इस चुनाव के दौरान जनता के साथ खुद को जोड़ा है उससे आगे आने वाले समय में अनुभवी नेतागण जरूर सीखेंगे। तभी तो कल तक मीडिया लीड गरीबी को देखने में माहिर राहुल गांधी को भी इस केजरीवाल नामक चेहरे  से कुछ सीखने का मन करने लगा है। यह कांग्रेस और भाजपा की त्रासदी ही है जो दोनों ही अपने व्यवहार के अनुकुल बर्ताव नहीं कर पा रहे हैं। शायद इसकी वजह वोटबैंक हो सकती है, या यूं कहिए कि वोटबैंक ही इसका प्रमुख कारण है। तो सवाल यह है कि आखिर यह नौबत आई क्यों ?
 तो जवाब भी साफ है कि जहां कांग्रेस के भ्रष्टाचार के कीचड़ को दिखाने के चक्कर में भाजपा ने भी अपने कमल को इसी कीचड़ में खिलाया। वहीं तुष्टीकरण में माहिर हाथ को काटने के चक्कर में कमल ने अपने भगवा वोटबैंक को भी गंवाया।
ऐसे में अरविंद केजरीवाल का आना और आकर छा जाना स्वभाविक सा लगने लगा है। दरअसल, यह भी मानना पड़ेगा कि अरविंद ने दिल्ली के चुनाव के दौरान उन मुद्दों को उठाया जिससे जनता सीधेसीधे त्रस्त थी और यह मुद्दे भी जनता को नए और स्वभाविक लगने लगे थे। तभी जनता ने केजरीवाल के चेहरे पर हर मर्ज की दवा देखना शुरू कर दिया। हालांकि यह अलग बात है कि आप की बुनियाद धोखे और दरार पर रखी गई हो लेकिन सच यह है कि केजरीवाल ने दिल्ली के इस दर्द को सहलाया भी। 
              
जहां एक तरफ अन्ना का चुनाव से पहले केजरी पर वार और स्टिंग में केजरीवाल के दूतों का गड़बड़ घोटाला करते हुए दिखाया जाना यह बताने के लिए काफी था कि सबकुछ तो ठीक नहीं है लेकिन इस स्टिंग के असमय की स्थिति में एक बात याद आती है कि केजरीवाल के दुश्मन भी कम नहीं हैं।
 और यह भी सच है कि केजरीवाल ने जब बेरोजगार,गरीब, लोगों को टिकट देना शुरू किया तो सबको मजाक सा लगने लगा, लेकिन आम जनता या मतदाता यह समझते थे कि अब दुख के दिन गए और सुख के दिन आने वाले हैं। यानी अब उनकी बात भी सुनी जाएगी।
और हो भी ऐसा ही रहा है, यानी सबकुछ पहली बार हो रहा है। तभी तो पहली दफा ऐसा हुआ कि ​दिल्ली में बिजलीपानी मुदृदा बना और पहली दफा ऐस हुआ कि साल भर की पार्टी दिल्ली में कांग्रेस को उखाड़ फेका, यह कहना गलत नहीं होगा कि शीला दीक्षित को उखाडत़् फेंका। वहीं जब 28 सीट आ गए तब भी केजरीवाल ने अपने ईमानदारी और निश्चलता के लौ जलाए हुए हैं। वरना आज के दौर में सत्ता पर काबिज होना अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल काम नहीं था। क्योंकि जहां कांग्रेस आतुर है आप को समर्थन देने के लिए, वहीं भाजपा आतुर है केजरीवाल के चाल को देखने और समझने के लिए। लेकिन केजरीवाल ने अपनी अटलता का परिणाम देते हुए आगे बढ़कर एक बार फिर जनता के बीच आ गए हैं। यानी की पहली दफा गठबंधन की सत्ता चलाने के लिए भी जनता को ही फैसला करना है। लोकतंत्र की जीवतता का इससे बड़ उदहारण कुछ नहीं हो सकता है। मतलब साफ है कि सबकुछ पहली बार हो रहा है, यानी ये न कांग्रेस की ढाल है और न ही बीजेपी की चाल है, यह आप का कमाल है। एक स्वच्छ राजनीति की शुरूआत हो चुकी है। और एक समझदार व्यक्ति आप को समर्थन कर रहा है। क्योंकि यह सच है कि जब तक आप सरकार न बनाएगी उसे भी जनता परख नहीं पाएगी।
 और यह भी सच है अगर आप ने ज्यादा कुछ तिकड़म किया तो मध्यावधी चुनाव में आप और केजरीवाल की तस्वीर 2005 की लोजपा और रामविलास पासवान जैसी होगी। गौरतलब है कि उस चुनाव के दौरान एक वक्त रामविलास के हाथ में बिहार के सत्ता की चाबी थी वहीं राष्टपति शासन के बाद हुए चुनाव में उनकी सारी गलतफहमी दूर हो गई और आज रामविलास पासवान लोजपा सहित अपने अ​स्तित्व की लड़ाई लड़ने लगे हैं।
तो अब हमें एक उम्मीद की तरह देखनी होगी की कुछ कमाल करेगी तो वो आप ही। और अगर सरकार आप की बनती है तो निश्चित ही यह आप की जीत होगी।
और यह मान कर चलना होगा कि यह लड़ाई आप ने शुरू कर दिया है और इसमें आप के सहयोग की जरूरत भी है। देखने वाली बात होगी की आगा​मी समय में आप और क्या क्या नयापन करती है।

तो सकरात्मक इंतजार के साथ गुनगुना दीजिए,आप का आना,दिल धड़काना,कुछ प्यार सा आ गया है।       



Monday 6 May 2013

बेस्ट इँस्पायरिँग डायलोग ऑफ सिनेमा


1. डकैत तो संसद मेँ होते हैँ बीहड़मेँ तो बागी मिलते हैँ - इरफान खान (पान सिँह तोमर)
2. वो दो कौड़ी का मुल्क जो आने वाले समय मेँ शायद दुनिया के नक्शेसे मिट जायेगा, जिसका आटा भी विदेशी चक्की से पिस के आता है, एक सुई तक बनाने कीऔकात नहीँ पर हमारे देश को तोड़ने के सपने देखते है | वो ये सपना देख सकते हैँ क्यूँकि वो जानते हैँ कि ये मुर्दोँ का देश है वतन के लिये किसी को हमदर्दी नहीँ
-- नाना पाटेकर (क्राँतिवीर)
3. भीख मेँ मिले देश और दान मेँ मिले हथियारोँ के दम पर इतना भोँकना ठीक नहीँ, कायरोँ की तरह मंदिरोँ ओर मस्जिदोँमेँ घुसकर औरतौँ और बच्चोँ कौ मारते हैं, अबतक जिँदा हो क्यूँकि हमारी सरकारने हमेँ रोक रखा है जिस दिन जंग का एलान होगा अन्दर घुस कर मारेँगे
... ... हमारा एक एक जवान तुम्हारी नपुँसक फौजपर भारी पड़ेगा - अजय देवगन
4. आज जिससे भी पूँछो वो कहेगा मैँडॉक्टर बनूँगा मैँ इंजीनियरबनूँगा आईएस बनूँगा वकील बनूँगा लेकिन एकबी आदमी नेता बनने को तैयार नहीँ है पॉलीटिक्स गटर है ये बोलकर सब भाग जाते हैँ लेकिन कोई भी इस गटरमेँ उतरकर इसे साफ करने को तैयार नहीँ है
देश के सभी नौजवान यही सोचते हैँ एक पन्द्रह बीस हजार की नोकरी मिल जाये एक सुन्दर सी लड़की शादी करने को मिल जाये फिर बुढ़ापे
तक रुपया जमा करके शहर के बाहर 12 एकड़ जमीन खरीद लेँगे वहाँ700-800 स्वायर फीट का एक घर बनायेँगे घर पर पीला वाला पेँट होगा सामने गार्डन होगा औरगार्डन मेँ एसी चेयर पर बैठके अखबार पढके अपनी बीबी से कहेँगे " डार्लिँग पॉलीटिक्स ने इस देश को खत्म कर दिया है"
-- परेश रावल (नायक)